लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी माना है कि बसपा की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन में मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ कर दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं के लिए बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने साफ कहा कि बसपा की तरफ से ज्यादा गंदी भाषा का इस्तेमाल किया गया। अखिलेश यादव ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। कानून सबके लिए बराबर है। गौरतलब है कि भाजपा से निष्कासित कर दिए गए नेता दयाशंकर सिंह ने बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था।
शर्मशार हुआ अदब का शहर लखनऊ : सीएम –
अपने सरकारी आवास पर आयोजित शिक्षकों और वैज्ञानिकों के सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि किसी की जुबान फिसल गई तो इतना बड़ा प्रदर्शन किया। मंच लगाकर अपशब्द बोले गए। भाजपा व बसपा के नेताओं में गंदी भाषा बोलने की होड़ लगी है। भाजपा नेता ने जो बोला वो गलत था लेकिन सिर्फ आधा हिस्सा ही। आधा हिस्सा सही था। हमें भी पता है कि बसपा में पैसे से टिकट मिलते हैं। बीएसपी से जो भी निकलकर आ रहा है, वह यही आरोप लगा रहा है।अदब के शहर लखनऊ में बसपा के नेताओं ने मंच से क्या बोला यह किसी से भी छुपा नहीं है। बसपा के नेताओं ने मंच से अभद्र भाषा बोली जिसने भी सुना शर्मशार हुआ। अखिलेश ने कहा कि जो भी लोग बसपा से बाहर आ रहे है, वह पैसे से टिकट मिलने का आरोप लगा रहे हैं। अब सत्यता क्या है, यह तो समय आने पर पता चलेगा। भाजपा के लोगों को चमत्कारी व चालू बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में एम्स के लिए नि:शुल्क जमीन दी लेकिन उसके उद्घाटन में हमें बुलाया ही नहीं।
शलापट्ट पर मेरा नाम तक नहीं लिखवाया। इससे पहले कांग्रेस ने भी ऐसा ही किया था। रायबरेली में एम्स के शिलान्यास में नहीं बुलाया गया था। दोनों बार केंद्र सरकार ने वाहवाही लूटी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पर गन्ना मूल्य भुगतान पर भी झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमारे हिसाब से अभी करीब 3000 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है, जबकि प्रधानमंत्री बता गए कि केवल 175 करोड़ रुपये बकाया है।