इंटरनेशनल डेस्क। भारत की कोई महिला जब तरक्की की राह पर चलती है तो वह सिर्फ देश के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए मिसाल कायम कर देती है।
हाल ही में उनको ‘एशियन बिजनेस वुमैन ऑफ द ईयर’ के लिए से सम्मानित किया गया। गर्व की बात यह है कि उनको यह सम्मान बर्मिंघम में एक पुरस्कार समारोह में उनको सम्मानित किया गया।
बिहार के सीतामढ़ी जिले मेेें रहने वाली आशा खेमका 1978 में अपने परिवार के साथ इंग्लैंड चली गई। अंग्रेजी भाषा की जानकारी न होते हुए भी वह आगे बढ़ती रही। उन्होने 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था। इंग्लैंड जाकर टी.वी और लोगों से बातचीत करके अंग्रेजी सीखी और अपनी कड़ी मेहनत से उन्होने कार्डिफ विश्वविद्यालय से बिजनेस डिग्री हासिल की।
इसके बाद उन्होने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। ब्रिटेन में वह वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज की प्रिंसिपल और सीईओ बनी। अपने मजबूत इरादों से आगे बढ़ते हुए 2013 में उनको डेेम कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ दि ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित किया गया। 1931 में धार राज्य की महारानी लक्ष्मी देवी बाई साहिबा के बाद वह भारतीय मूल की पहली डेम है।
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