अररिया। एक ओर जहां पाक अपनी नापाक हरकतों से बाज नही आ रहा है वहीं दूसरी ओर भारत-नेपाल सीमा के जोगबनी बॉर्डर पर बेरोक-टोक आवाजाही जारी है।
भारत-नेपाल का सबसे संवेदनशील जोगबनी बॉर्डर माना जाता है और यहां दिन में लापरवाह और रात को संतरी विहीन हो जाता है। हाल ही में सर्जीकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान लगातार सीज फायर का उलंघन कर रहा है जिससे सीमा पर तनाव जारी है। ऐसे में भारत-नेपाल सीमा पर लापरवाही भारत के लिए घातक साबित हो सकता है।
जोगबनी बॉर्डर पर दिन में इतनी भीड़-भाड़ का दृश्य देखने को मिलता है वहीँ रात्रि में इतना सन्नाटा कि आने-जाने वाले किसी भी आगंतुकों को कोई टोकने वाला नहीं था। ऐसे में कोई भी हथियार, आरडीएक्स जैसी वस्तु या कुछ लेकर आ जा सकता है।
इस सन्दर्भ में भारतीय सीमा की आतंरिक सुरक्षा को लेकर स्वयं मुआयना करने आई एसएसबी पूर्णियां प्रक्षेत्र की डीआइजी मेस सुलेखा दास को जब इस बात की जानकारी दी गयी तो उन्होंने फौरन अपने कमांडेंट मुकेश गौतम को तलब किया। मगर आश्चर्य की बात यह है कि आखिर सीमा सुरक्षा की जिम्मेवारी जब कमांडेंट की है तो फिर यहां इस सीमा को रात्रि में एसएसबी किसके भरोस छोड़ जाती है।
जोगबनी बॉर्डर पर बेरोक-टोक आवाजाही का दोस्ताना सम्बन्ध है जिसका मुख्य कारण भारत नेपाल संधि 1950 को कायम रखी गई है। शायद यही कारण कि इस रास्ते से आतंकवादी आसानी से भारत में प्रवेश कर जाते है।
चाहे वह अजहर मसूद जैसे कुख्यात आतंकवादी को छुड़ाने वाला कंधार आईसी 814 प्लेन हाईजैकिंग का मामला हो या चाहे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी की हत्या के षड्यंत्रकारी आरोपी डीआईजी सिमरनजीत सिंह मान के गिरफ्तारी का मामला हो। मगर अब तो हालात भी बदल चुकें हैं इसलिए हर सूरत में यह बॉर्डर पहले से ही अतिसंवेदनशील रहा है।
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