चुनाव आयोग ने सरकार से मतदान से 48 घंटे पहले डिजिटल और प्रिंट मीडिया में चुनावी और राजनीतिक विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है. इसके लिए आयोग ने कानून मंत्रालय से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 में संशोधन की मांग की है. दरअसल इसके जरिये चुनाव आयोग का मकसद है कि मतदान के अंतिम 48 घंटे पहले ऐसे विज्ञापनों पर रोक से मतदाताओं पर पड़ने वाले प्रभावों को रोका जा सकेगा.
लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू
इस बीच गर्मियों में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने सभी राज्य सरकारों को अपने गृह जिलों में पदस्थापित और पिछले चार वर्षों में एक ही जिले में तीन साल बिताने वाले अधिकारियों का तबादला करने का निर्देश दिया है. सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और मुख्य चुनाव अधिकारियों को लिखे पत्र में आयोग ने कहा है कि लोकसभा चुनाव और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभा के चुनाव जल्द होने वाले हैं.
उसने कहा कि 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल तीन जून को समाप्त हो रहा है जबकि आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम विधानसभा का कार्यकाल क्रमश: 18 जून, एक जून, 11 जून और 27 मई को खत्म हो रहा है. चुनाव आयोग के लिये लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनावों के लिये इस तरह का निर्देश जारी करना आम बात है ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि अधिकारी किसी भी तरह से चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं दें और चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो.
आयोग ने साफ कर दिया कि यद्यपि बड़ी संख्या में कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया जाएगा लेकिन वह राज्य तंत्र को बड़े पैमाने पर अस्त-व्यस्त नहीं करना चाहता है. उसने कहा कि तबादले का निर्देश उन लोगों पर लागू नहीं होगा जिनका चुनावों के साथ सीधा संबंध नहीं है.
आयोग के 16 जनवरी के निर्देश ने साफ कर दिया कि जिन अधिकारियों के खिलाफ उसने अतीत के चुनावों में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी, उन्हें चुनाव संबंधी ड्यूटी में नहीं लगाया जाना चाहिये. आयोग ने कहा है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ अदालतों में आपराधिक मामले लंबित हैं उन्हें चुनाव कार्य में लगाने पर रोक है.
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