मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट मंत्री नवजाेत सिंह सिद्धू की पत्नी अौर बेटे को नियुक्ति देने के मामले में अपना पक्ष रखा है। उन्होेंने कहा कि सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू आर बेटे करन सिंह सिद्धू को उनकी योग्यता के आधार पर राज्य सरकार ने नियुक्ति देने का फैसला किया। राज्य सरकार इस पर पूरी तरह कायम है और अब सिद्धू परिवार पर निर्भर है कि वह क्या फैसला करता है। उन्होंने इस माले पर राजनीति करने के लिए शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह आेछी राजनीति है।
कहा- सरकार अपने फैसले पर कायम, अब सिद्धू परिवार पर इसे स्वीकार करने या न करना निर्भर
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूरे प्रकरण में सिद्धू का खुलकर पक्ष लिया। कैप्टन ने शिअद को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि दोनों उम्मीदवार डॉ. नवजोत कौर सिद्धू और एडवोकेट करन सिद्धू काबिल हैं। उनका चयन पूरी तरह मेरिट के आधार पर हुआ है। कैप्टन ने कहा राज्य सरकार नवजोत कौर सिद्धू और उनके बेटे को असिस्टेंट एडवोकेट जनरल नियुक्त करने के अपने फैसले पर कायम है। इन नियुक्तियों को स्वीकार करना या नहीं करना सिद्धू परिवार का है। उन्होंने कहा कि अकाली दल का इस मसले से कोई लेना-देना नहीं है।
आधारहीन राजनीति कर रहा है शिअद
कैप्टन ने कहा कि मामले को राजनीतिक रंग देने की चाल से एक बार फिर सिद्ध हो गया कि अकाली दल के पास मुद्दे नहीं हैं। शाहकोट उपचुनाव में होने वाली स्पष्ट हार से मुंह छिपाने के लिए शिअद आधारहीन राजनीति का सहारा ले रहा है। अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा की ओर से इस नियुक्ति पर सावल उठाने पर कैप्टन ने कहा कि अपने फैसले से पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। यह अकाली दल नहीं बताएगा कि सरकार ने नौकरी किस को देनी है।
करन सिद्धू ने बिना पैसे लिए 13 महीने एडवोकेट जनरल दफ्तर में काम किया
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि करन सिद्धू ने 13 महीने एडवोकेट जनरल दफ्तर में काम किया है और वह भी बिना किसी फीस के। इसके बाद एडवोकेट जनरल ने खुद उनका असिस्टेंट एडवोकेट जनरल के लिए चयन किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि चीमा ने शिकायत करनी ही है, तो उसे करन को उसके काम के लिए अदायगी न किए जाने के विरुद्ध करनी चाहिए थी।