नई दिल्ली । इस साल जुलाई में रिक्त होने वाले राष्ट्रपति पद के लिए नए दावों को लेकर भाजपा में चर्चाएं शुरू हैं। सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम फिलहाल आगे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मु का भी नाम लिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के कभी प्रबल समर्थक रहे वरिष्ठ नेता लालकृृष्ण आडवाणी इस दौड़ से बाहर बताए जा रहे हैं।
ये नाम भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चर्चाओं में उभरे हैं। अंतिम तस्वीर पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद उभरेगी।
किसकी दावेदारी में कितना दम :
मुरली मनोहर जोशी 1944 से संघ से ज़ुड़े हैं, जब वह दस साल के थे। राम मंदिर आंदोलन जब उभार पर था, उन्हीं दिनों 1991 में वह भाजपा अध्यक्ष भी बने। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की तीनों सरकारों में अहम मंत्री रहे।
सुषमा स्वराज की संभावना इस बात में है कि वह मोदी सरकार में ‘अच्छी मंत्री’ हैं। उनकी पदोन्नति से संघ की महिला विरोधी छवि का भ्रम भी टूटेगा। उनका स्वास्थ्य चिंता का कारण है।
कुछ का कहना है कि उन्हें इस पद पर पहुंचा कर ‘उचित आराम’ दिया जा सकता है। अन्य संभावितों में आठ बार की सांसद व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी हैं।
संघ से उनके अच्छे समीकरण हैं। एक सरप्राइज नाम झारखंड की राज्यपाल मुर्मु का भी है। उनका दो दशकों का राजनीतिक और सामाजिक कॅरिअर संतोषजनक रहा है।
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