नई दिल्ली । राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से खर्च और प्रबंधन से जुड़ी दिक्कतों को कम करने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने के लिए पहल करने को कहा। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर संबोधित कर रहे थे, जो 1950 में चुनाव आयोग के गठन के अवसर पर मनाया जाता है।
प्रणव मुखर्जी ने कहा, ‘यह पहल चुनाव आयोग की ओर से किया जाना चाहिए क्योंकि आयोग ने निष्पक्ष व्यवहार की छवि हासिल की है… मैं समझता हूं कि अगर राजनीतिक दल इस मुद्दे पर चुनाव आयोग की मदद से गंभीरतापूर्वक सहमत होते हैं, तब ऐसा संभव है।’
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से खर्च और प्रबंधनसे जुड़ी कई दिक्कतों को दूर किया जा सकता है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के विचार का समर्थन कर चुके हैं।
कानून पर संसद की स्थायी समिति ने दिसंबर 2015 में अपनी रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया था। संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद सरकार ने चुनाव आयोग से इस बारे में उसका विचार मांगा था।
आयोग ने तब स्पष्ट किया था कि इसके लिए उसे करीब 10 हजार करोड़ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों के जवानों की जरूरत पड़ेगी। आयोग ने यह भी इशारा किया था कि इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा।