वाराणसी। सूबे में सत्तारूढ़ दल के कद्दावर नेता और लोकनिर्माण सिंचाई राज्य मंत्री शिवपाल यादव के सभा में आत्मदाह का प्रयास करने वाले युवक सत्येंद्र की शनिवार को इलाज के दौरान यहां मौत हो गयी। सत्येन्द्र मलदहिया स्थित निजी अस्पताल में भरती था। युवक की मौत पर जहां उसके परिवार में कोहराम मच गया है। वहीं सत्ता पक्ष के नेताओं का दूरकृ दूर तक नहीं पता चला। न्याय के लिए आवाज उठाने वाले युवक की बलि चढ़ते ही कही मामला तूल न पकड़ ले गाजीपुर के डीएम ने तत्काल जिला आपूर्ति अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया। गौरतलब हो कि गाजीपुर जनपद के नन्दगंज थाना क्षेत्र के किशोहरी गांव के रामसूरत बिन्द के तीन बेटो में छोटा सत्येन्द्र बिन्द 18 वर्ष गांव के कोटेदार की मनमानी की के खिलाफ लम्बे समय से आवाज उठा रहा था और कई बार इसकी लिखित शिकायत भी की थी। इसके नाराज कोटेदार ने अपने प्रभाव और धन का इस्तेमाल कर उल्टे सत्येन्द्र को फर्जी मुकदमों में फंसा दिया । इसको लेकर सत्येन्द्र आक्रोशित रहता था। बीते 12 जुलाई को सत्येन्द्र को पता चला कि सैदपुर तहसील स्थित टाउन नेशनल इंटर काॅलेज में आयोजित महोत्सव में लोक निर्माण व सिचाई मंत्री शिवपाल यादव आ रहे हैं। तो वह वहां पहुंच गया, मंत्री शिवपाल से मिलने के लिए मंच की ओर बढ़ा ही था कि पुलिस कर्मियो ने उसे जबरन रोक लिया। इसके बाद निराश सत्येन्द्र को लगा कि प्रधान व कोटेदार के खिलाफ कार्रवाई अब नहीं हो पायेगी तो उसने आत्मदाह का आत्मघाती कदम उठा लिया।
काबीना मंत्री के सभा में सत्येन्द्र के इस कदम से हड़कम्प मच गया। आननकृ फानन में सत्येंद्र को अस्पताल पहुंचाया गया । हालत बिगड़ने पर बीएचयू के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां आईसीयू में जगह न मिलने पर सत्येंद्र की हालत खराब देख परिजनों ने तेलियाबाग स्थित सिंह मेडिकल नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान सत्येंद्र ने आज दम तोड़ दिया।
सत्येन्द्र की मौत की खबर लगते ही वहां मीडियाकर्मी भी जुट गये। मृतक सत्येंद्र की मां घनेशरी देवी और पिता रामसूरत विन्द ने बिलखते हुए बताया कि गांव के कोटेदार धर्मेंद्र गुप्त की मनमानी के खिलाफ सत्येन्द्र ने कई बार शिकायत किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उल्टे कोटेदार ने ग्राम प्रधान से सांठगाठ कर उसे ही झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजवा दिया था ।
पूरे व्यवस्था पर सवाल
न्याय की जंग में सत्येन्द्र ने तो अपनी बलि चढ़ा दी और पीछे छोड़ गया सुलगता सवाल और बेरहम सत्ता और भ्रष्ट थानेदार की कारगुजारी।
मृतक के पिता ने बताया कि सत्येंद्र ने कोटेदार के खिलाफ उपजिलाधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, तीन बार तहसील दिवस, जनता दर्शन के अतिरिक्त पंजीकृत डाक से जिलाधिकारी, कमिश्नर से मिलकर शिकायत किया। अस्पताल में मृतक के गांव से आये पप्पू बिन्द ने बताया कि सत्येन्द्र पूरे बिन्द समाज के लिए कोटेदार से लड़ रहा था। उसे प्रधान ने कोटेदार के साथ मिलकर फर्जी मुकदमें में फंसा जेल भेजवा दिया था। ग्रामीणों के निशाने पर थानाध्यक्ष नन्दगंज भी थे।