नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्ला शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले और उनके साथ घाटी की ताज़ा स्थिति और वहां पिछले एक सौ से भी अधिक दिनों से चल रहे कर्फ्यू के कारण पैदा हुए हालात पर चर्चा की।
डॉ अब्दुल्ला ने घाटी में केंद्र सरकार के साथ वार्ता के इच्छुक सभी हितधारकोंं के साथ बातचीत करने पर ज़ोर दिया ताकि वहां स्थिति सामान्य हो सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनकी बात ध्यान से सुनी।
डॉ अब्दुल्ला ने कुछ दिन पहले एक टेलीविज़न इंटरव्यू में कहा था उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है। उन्होंने कहा था वह प्रधानमंत्री से आग्रह करेंगे कि राज्य सरकार को थोड़ी स्वायत्तता दे। डॉ अब्दुल्ला कश्मीर में स्वायत्तता पर ज़ोर दे रहे हैं परंतु पहले की केंद्र सरकारों ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया है। इंटरव्यू में डॉ अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि यदि कश्मीर के विषय पर शीघ्र ही कोई निर्णय नहीं लिया गया तो देर हो सकती है। डॉ अब्दुल्ला भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता के भी पक्षधर हैं।
सूत्रों के अनुसार डॉ अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री को बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में कश्मीर घाटी में बहुत नुक्सान हुआ है। पिछले कुछ दिनों में उग्रवादियों ने घाटी के कुछ इलाक़ों में लगभग 20 स्कूलों को जला दिया है।
कर्फ्यू के कारण पर्यटन को भारी नुक्सान हुआ है। पर्यटन कश्मीर घाटी की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधारों में से एक है। इसके अतिरक्त भारत-पाक नियंत्रण रेखा के निकट रहने वाले लोग भी पाकिस्तानी गोलीबारी के कारण कठिनाईयां झेल रहे हैं।सूत्रों ने कहा डॉ अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री से इन सभी विषयों पर ध्यान देने का आग्रह किया ताकि घाटी में स्थिति सामान्य हो जाये।