अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महिला समेत तीन भारतवंसियों को अमेरिकी प्रशासन में अहम पदों पर नामित किया है। ट्रंप प्रशासन में भारतवंशियों का कद बढ़ना कोई बेवजह घटना नहीं है। अमेरिका में भारतवंसियों ने अपनी प्रतिभा व ज्ञान का लोहा मनावाया है। नासा से लेकर अमेरिकी संसद में इनका डंका बजता है। अमेरिका के हर क्षेत्र में उनका वर्चस्व कायम है। यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रशासन में भी भारतवंसियों को तरजीह दिया है। हालांकि, यहां के राजनीतिक समीकरण यह बताते हैं कि इस बार अमेरिकी संसद में पहुंचने वाले अधिकतर लोग डेमोक्रेट पार्टी से है, जबकि ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से आते हैं। आइए जानते हैं कि अमेरिकी सियायत में कैसे है भारतवंसियों का दबदबा। डेमोक्रेट्स होने के बावजूद रिपब्लिकन ट्रंप ने क्यों दिया तरजीह।
संसदीय चुनाव में भारतीयों का परचम
दरअसल, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ यहां हुए संसदीय चुनाव में भारतीय मूल के पांच प्रतिनिधि चुनाव जीतने में सफल रहे थे। उनके प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस चुनाव में जीतने वाले अधिकतर डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार थे। लेकिन भरतवंसियों के दबदबे को देखते हुए उन्हें ट्रंप प्रशासन में भी तरजीह मिली। चूंकि अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं। इसलिए भारतवंसियों को लुभाने के लिए ट्रंप प्रशासन ने यह कदम उठाया है।
कमला हैरिस सीनेट : कमला अमेरिकी सीनेट में कैलिफ़ोर्निया का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली अश्वेत नेता हैं। वह कैलिफ़ोर्निया से चुनाव जीतने में कामयाब हुई थीं। बीते दो दशक में वे अमरीकी सीनेट तक पहुंचने वाली पहली अश्वेत हैं। अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन में चुनी गईं कमला 51 साल की हैं। उन्होंने डेमोक्रेट उम्मीदवार लोरेटा सांचेज को हराया था।
ऑकलैंड में जन्मी कमला की मां भारतीय मूल की थीं। वह चेन्नई से थीं। कमला की मां श्यामला गोपालन हैरिस कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर थीं, जबकि पिता डोनल्ड हैरिस स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर थे। कमला ने हारवर्ड और कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूरी की। अपनी करियर की शुरुआत वकालत से की बाद में राजनीति की ओर क़दम बढ़ाए।
प्रमिला जयपाल : डेमोक्रेटिक पार्टी की 51 वर्षीय प्रमिला का जन्म चेन्नई में हुआ था। 16 साल की उम्र में प्रमिला अपनी पढ़ाई करने के लिए अमरीका गईं और वहीं बस गईा। वर्ष 2000 में उन्होंने अमरीकी नागरिकता हासिल की। डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमिला ने वाशिंगटन से रिपब्लिकन पार्टी की ब्रैडी वाल्किनशॉ को पराजित किया।
रोहित खन्ना : रोहित का नाता पंजाब प्रांत से हैं। स्टैंडफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रोहित के परिजन पंजाब के हैं। उनके माता-पिता पंजाब से अमेरिका के फ़िलाडेलफ़िया गए और वही बस गए। रोहित ओबामा प्रशासन में में पूर्व अधिकारी रहे हैं। 40 वर्षीय रोहित खन्ना डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से माइक होंडा को पराजित कर हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव पहुंचे।
राज कृष्णमूर्ति : 43वर्षीय राज कृष्णमूर्ति ने रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार पीटर डिकिनानी को पररास्त किया। वह हाउस ऑफ़ रिप्रेंजटेटिव के सदस्य चुने गए थे। दिल्ली में जन्मे कृष्णमूर्ति के माता-पिता तब न्यूयार्क में जाकर बस गए थे, जब राज महज़ तीन महीने के थे।
सीमा नंदा : भारतीय मूल की सीमा ने देश के मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी का मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद पर आसीन हुईं थीं। कनेक्टिकट में पली-बढ़ीं सीमा अमेरिका में किसी प्रमुख राजनीतिक दल का सीईओ बनने वाली पहली भारतवंशी हैं।
नासा व माइक्रोसॉफ्ट कंपनियों में भारत का दबदबा
उनका यह दखल केवल अमरिकी सियासत में ही नहीं है, बल्कि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में काम करने वाले लोगों में भारतीयों की संख्या 36 फीसद है। इसी तरह अमेरिका में कार्यरत डॉक्टरों में से 38 फीसद और वैज्ञानिकों में 12 फीसद भारतीय हैं। अमेरिका-भारत वाणिज्य मंडल के अनुसार कम्प्यूटर क्रांति लाने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में भारतीयों का आँकड़ा 34 फीसद है। इसी तरह आईबीएम के 28 फीसद और इंटेल के 17 फीसद कर्मी भारतीय हैं।
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