अमरोहा और दिल्ली से पकड़े गए दस संदिग्ध आतंकियों ने वायरलेस तकनीक से बम बनाना सीखा था। उन्हें देश में अलग-अलग स्थानों पर धमाकों को अंजाम देना था। तार के साथ पकड़े जाने का डर बना रहता है इस कारण अबकी वायरलेस तकनीक के साथ बम बनाकर विस्फोट की योजना बनाई गई थी।
पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों के पास से रिमोट कंट्रोल कार और वायरलेस डोर बेल बरामद की गई। एनआईए की पूछताछ में उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में मई 2017 से लगभग दो माह तक वायरलेस सर्किट को लेकर पढ़ाई की गई थी। बम बनाने से लेकर उसे रिमोट कंट्रोल द्वारा कैसे ब्लास्ट किया जा सकता है इसके बारे में पूरी जानकारियां जुटाई गईं। इसके बाद बकायदा टेस्टिंग भी की गई। जब पूरी तरह सफलता मिल गई तो इस तरह के बम बनाने का सामान एकत्र किया गया।
गिरफ्तारी के बाद एनआईए की पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा
वायरलेस तकनीक के बारे में जानकारी के लिए संदिग्ध आतंकियों ने खिलौने की दुकान से हाईस्पीड कार खरीदी। ऐसी रिमोट कंट्रोल कार 100 मीटर के दायरे से भी आसानी से संचालित की जा सकती है।
तार वाले बम बनाने से पकड़े जाने का रहता है डर
संदिग्ध आतंकियों ने एनआईए को बताया कि तार वाले बम बनाने से पकड़े जाने का खतरा ज्यादा रहता है मगर वायरलेस बम कहीं भी फिट करके उसे लगभग 100 मीटर की दूरी से रिमोट कंट्रोल के जरिए धमाका किया जा सकता है।