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आतंक फैलाने के लिए पहली पसंद बने ‘टेलिग्राम’

हैदराबाद
msid-53373819,width-400,resizemode-4,tlgramखलीफा सायबर आर्मी, रैडिकल गर्ल और स्लेव ऑफ अल्लाह, ये कोई नई रिलीज होने वाली हॉलिवुड मूवीज के नाम नहीं हैं, बल्कि इस्लामिक स्टेट (IS) के समर्थक लोगों और उनके सहायकों के अलग ऐप्स और चैनल्स पर बनाए गए ग्रुप्स के नाम हैं।

यह खुलासा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य खुफिया एजेंसियों ने किया है। खुलासे के मुताबिक, IS के समर्थक स्थानीय लोग टेलिग्राम जैसे मोबाइल ऐप और टेलिग्राम चैनल जैसे चैनल का प्रयोग एक प्लैटफॉर्म के तौर पर करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा कारणों, अपलोडिंग कपैसिटी और चैट डिलीट होने के लिए टाइमर जैसी वजहों से IS से प्रेरित युवा वॉट्सऐप की जगह टेलिग्राम का उपयोग करते हैं।

आतंक के लिए टेलिग्राम का उपयोग कोई नया नहीं है। पिछले साल दिसंबर में राजस्थान पुलिस और तेलंगाना जांच एजेंसियों ने भी कथित तौर पर एक IS समर्थक केन्या मूल की अमिना मवाइज को हैदराबाद से पकड़ा था। उसने इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के कर्मचारी सिराजुद्दीन से संपर्क करने के लिए टेलिग्राम के उपयोग की बात कबूली थी। उनकी मुलाकात टेलिग्राम के जरिए हुई थी। वे दोनों शादी करके IS के लिए काम करना चाहते थे

NIA अधिकारी ने कहा, ‘जनवरी मॉड्यूल में तमिलनाडु से गिरफ्तार मुख्य आरोपी मोहम्मद नासिर ने बताया कि टेलिग्राम एक सुरक्षित माध्यम है। क्योंकि इसमें ग्रुप के सदस्यों के नंबर और उनकी पहचान आसानी से छुपाई जा सकती है। टेलिग्राम में चैट डिलीट करने के लिए एक टाइमर का ऑप्शन भी दिया गया है। टेलिग्राम में विडियो अपलोड करने की कपैसिटी 500 mb से ज्यादा है वहीं वॉट्सऐप में सिर्फ 20 mb है।
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