इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के निजीकरण नीति के तहत बेची गयी 21 चीनी मिलों की कीमत का पुनर्निधारण करने तथा लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में कोर्ट का फैसला पहले ही आ चुका है जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट एसएलपी विचाराधीन है । ऐसे में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.एस.चौहान तथा न्यायमूर्ति अनंत कुमार की खण्डपीठ ने सच्चिदानंद गुप्ता व अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है। याचिका पर नम्रता मार्केटिंग प्रा.लि. की तरफ से अधिवक्ता एस.डी.हसनैन, एस.एन.फजल ने प्रतिवाद किया। मालूम हो कि वर्ष 09 में राज्य सरकार ने 21 सहकारी चीनी मिलों को बेचने का फैसला लिया था।