आलू (Potato Farmer) उगाने में तन-मन-धन लगाया। इसकी बिक्री करने के बाद जो नतीजा निकला, उसे देख किसान के होश ही उड़ गए। 368 पैकेट की बिक्री पर खर्चा काटने के बाद प्राप्ति महज 490 रुपये हुई। यदि इसका हिसाब बनाया जाए तो किसान को प्रति 50 किलो के पैकेट पर 1.33 रुपये ही मिले। उसकी लागत 500 रुपये के आसपास आई थी। किसान ने इस लेन-देन के बाद हाथ में आए 490 रुपये का मनीऑर्डर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजा है। उनके समक्ष आलू किसानों की बर्बादी को रखा है। मामला उत्तर प्रदेश के आगरा की है.
बरौली अहीर के गांव नगला नाथू निवासी किसान प्रदीप शर्मा (pradeep sharma) ने 368 पैकेट आलू (लगभग 19 टन) महाराष्ट्र की अकोला मंडी भेजा। मंडी में अलग-अलग वैराइटी के इस आलू के लिए 94,677 रुपये मिले। इस माल को भेजने में बतौर भाड़ा उनका 42,030 रुपये लग गया। इसके अलावा मंडी में आलू की अनलोडिंग के लिए उनको 993 रुपये खर्च करने पड़े।
आलू की बिक्री कराने वाले दलाल ने कमीशन के 3790 रुपये रख लिए। वैराइटी अलग थी, इसलिए छटाई कराई गई। इसमें भी किसान की जेब से 400 रुपये लग गए। आलू की बोरी को दोबारा पैक करने में सुतली प्रयोग की, जिसका बिल 45 रुपये आया। यह आलू चूंकि कोल्ड स्टोर में रखा था, इसका भंडारण खर्च लगभग 46 हजार रुपये आया। सारे बिलों के भुगतान के बाद किसान के हाथ 490 रुपये आए।
कई मामले सामने आए
हाल में खंदौली के एक किसान के साथ भी ऐसा ही मामला हुआ था। उजरई गांव के रहने वाले दरयाब सिंह ने पुणे मंडी में आलू बेचा था। सारे खर्च के बाद उनके हाथ 604 रुपये लगे। किसान नेताओं का कहना है कि ऐसे हालात इन दो किसानों के ही नहीं हैं। कई अन्य को ऐसे अनुभव हो चुके हैं। लागत निकलना तो दूर की बात है। किसानों के हिस्से इतनी रकम भी नहीं आ रही कि वे अगली खेती के बारे में सोच सकें। अपने घर का खर्चा चला सकें।
सीएम योगी से की थी इच्छामृत्यु की मांग
आलू की फसल में पिछले चार सालों से हो रहे नुकसान से किसान प्रदीप बेहद परेशान हैं। इससे पहले बीते साल जुलाई के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सीएम योगी आदित्यनाथ से इच्छामृत्यु की मांग की थी। उन्होंने कहा कि न ही उन्हें इच्छामृत्यु की इजाजत दी जा रही है और न ही उनकी गुहार सुनी जा रही है।
महाराष्ट्र की तरह सब्सिडी दें
आलू उत्पादक किसान समिति के महासचिव मो. आलमगीर ने कहा कि किसानों को सरकार से अपेक्षित फायदा नहीं मिल रहा। आलू में अग्रणी होने के बावजूद आगरा जनपद के किसान परेशान हैं। साल दर साल के घाटे के बाद वे अवसाद में आ गए हैं। प्रदेश सरकार को चाहिए कि आलू में नुकसान दे रहे किसानों की भरपाई की जाए। महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर मुआवजा दिया जाना चाहिए।