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इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की वैधता को चुनौती, जानें इला के नाम से बसा इलाहाबाद

इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के राज्य सरकार के फैसले की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस संबंध में अधिवक्ता सुनीता शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पक्षकार बनाया गया है। याची अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इला के नाम से इलावास बसाया गया था जिसे बाद में इलाहाबाद कहा जाने लगा। लोग सैकड़ों साल से प्रयाग को इलाहाबाद के नाम से जानते हैं। याचिका में अर्द्धकुंभ को कुंभ घोषित करने पर भी आपत्ति की गई है। दोनों मामलों पर अब हाईकोर्ट विचार करेगा। 

कुछ प्रचिलित पौराणिक कथाओं के मुताबिक इल वाह्लीक देश के प्रजापति कर्दम के पुत्र थे। वैवस्वत मनु श्रद्धा को कोई संतान नहीं थी। इसके लिए उन्होंने पुत्रकाम यज्ञ कराया। श्रद्धा कन्या चाहती थीं अत: यज्ञ की समाप्ति पर उसे कन्या जन्मी जिसका नाम इला पड़ा। बाद में मनु के अनुरोध पर वरिष्ठ ने बालिका को पुत्र बनाया तब इसका नाम इल पड़ा। एक समय शिकार खेलते-खेलते वह उस स्थान पर जा पहुंचे, जहां कार्तिकेय का जन्म हुआ था। यहां भगवान शंकर पार्वती का मनरंजन कर रहे थे। उस समय उस प्रदेश में शिव की माया से सभी प्राणी स्त्री वर्ग के हो गये। राजा इल ने देखा कि पार्वती को प्रसन्न करने के लिए शंकर ने स्त्री रूप धारण किया है। वहां सब पशु-पक्षी मादा रूप में दिखे। परिणामस्वरूप यह फिर स्त्री बन गया और साथी भी सुंदरियों में तब्दील हो गये। तब सभी परेशान हाल भगवान शिव के पास गए लेकिन शिव ने उन्हें पुरुषत्व के अलावा कुछ भी मांगने को कहा।

कहा जाता है कि हताश होकर सब पार्वती के पास गए तो पार्वती ने उन्हें एक माह स्त्री और एक माह पुरुष रहने का वरदान दिया। बताया गया है कि स्त्री रूप में वह पुरुष की बातें भुल जाते थे। उन सुंदरियों को मार्ग में तपस्यारत चन्द्र पुत्र बुध मिले। बुध स्त्री रूप इल यानी इला पर आसक्त हो गये और विवाह कर लिया। इला के स्त्री-पुरुष रूप धारण करने का क्रम चलता रहा किंतु कालांतर में उसने बुध के पुत्र पुरुरवा को जन्म दिया। बुध के पुत्र ने ब्राह्मणों को बुलाकर अश्वमेध यज्ञ करवाया, जिससे प्रसंन्न होकर शंकर ने इला को पुन: पुरुष (इल) बना दिया। इसके बाद अपना पूर्व नगर वाह्लीक अपने पुत्र शशबिंदु को सौपकर राजा इल ने प्रतिष्ठानपुर बसाया और ब्रह्मलोक जाते समय प्रतिष्ठानपुर पुरुरवा को सौप दिया। इसी प्रतिष्ठानपुर का नाम कालांतर में इलाहाबाद पड़ा।

प्रतिष्ठानपुर और प्रयागराज नाम होने की बात प्रमाणित करने के लिए जो संदर्भ मिलते हैं उनके इला से इलाहाबाद नाम होने का संदर्भ सबसे पुराना लगता है। ब्रह्मपुराण में इला से जुड़ी कुछ कथाओं लोकगाथाओं के रूप में जन चर्चा में रहती हैं। इला के नाम पर ही जंबूद्वीप के नवखंडों में एक खंड ‘इलावृत’ कहलाता है।

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