इस बार 71 वर्षों बाद सोमवती व मौनी अमावस्या पर्व 4 फरवरी को एक साथ आ रहे रहा हैं। वहीं 4 फरवरी को कुंभ मेला का दूसरा शाही स्नान है। इसके चलते हजारों की संख्या में श्रद्धालु कुंभ पहुंचकर शाही स्नान में भाग लेंगे। 4 फरवरी को गृहों के चलते सोमवती व मौनी अमावस्या का योग बन रहा है। इस योग में गंगा स्नान, दान पुण्य करने से शनि और केतु से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
पंड़ित गणेशदत्त त्रिपाठी ने बताया कि इस बार 71 वर्षों में यह पहली बार ऐसा संयोग बना रहा है कि सोमवती व मौनी अमावस्या एक ही दिन पड़ रही हैं। वहीं श्रवण नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग की भी निष्पति हो रही है। हालांकि यह सामान्य स्थिति में भी बनती है, लेकिन कुंभ होने से इसका महत्त्व और अधिक बढ़ गया है। इस कारण दूर दराज से भक्त हजारों की संख्या में कुंभ पहुंचकर इस शाही स्नान में भाग लेंगे। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 4 फरवरी सोमवार को माद्य महीने की तिथि को अमावस्या भी जो लाभदायक सिद्ध होगी। इससे कई लोगों के दुख, दर्द और कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
1948 में के बाद अब बन रहा है ऐसा संयोग
पंड़ित गणेशदत्त त्रिपाठी के अनुसार 71 वर्ष पूर्व यानि फरवरी 1948 में कुंभ के दौरान ऐसा महोदय योग बना था। इस महोदय योग के दिन अमृत का ग्रह चन्द्रमा अपने ही नक्षत्र में होगा। देव गुरु और दैत्य गुरु के बीच सुंदर संबंध बने रहेंगे। वहीं राहु और बृहस्पति एक साथ होंगे और शनि व सूर्य के संबंध की वजह से मौनी अमावस्या पर्व लाभकारी सिद्ध होगा।
ऐसे समझे महोदय का महत्त्व
पंड़ित गणेशदत्त त्रिपाठी के अनुसार महोदय योग के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती के पावन तट पर पूजा पाठ करना, दान पुण्य करना, स्नान करने से अन्य दिनों की अपेक्षा मिलने वाला पुण्य अधिक बढ़ जाता है। इससे मनुष्य के जीवन का उद्धार होता है और उसकी राशि से हमेशा के लिए शनि व केतु का दोष दूर हो जाता है। वहीं इस दिन दान पुण्य का भी महत्व बढ़ जाता है। इस कारण इस महोदय का लोगों को बढ़ी बेसब्री से इंतजार होता है।
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