आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां शाम होते ही मंदिर के पट बंद हो जाते है. ये मंदिर राजस्थान के बाड़मेर से 30 कि.मी दूर किराड़ू नाम के गांव में स्थित है जो देशभर में फेमस है. इस गांव में एक किराड़ू नाम का मंदिर है जिसकी एक अनोखी ही कहानी है. इस मंदिर के नाम पर ही गांव का नाम पड़ा है. ऐसा कहा जाता है कि 11वी शताब्दी में किराड़ू परमार वंश राजधानी थी लेकिन अब इस जगह के चारों ओर बस सन्नाटा भी पसरा हुआ है. जब भी किराड़ू की बात की जाती है तो क्षेत्र के रहने वाले लोगों के चेहरे पर दहशत पसर जाती है.
ऐसा कहा जाता है कि किराड़ू मंदिर ऐतिहासिक श्रापित मंदिरों में से एक है. किराड़ू मंदिर के बारे में कई किस्से-कहानियां कही जाती हैं और जो भी इस मंदिर की सच्चाई जानता है वो हैरत में पड़ जाता है. क्षेत्र के रहवासी इस मंदिर के बारे में अपशकुनों और श्रापों की बातें बताते हैं. लोगों की माने तो इस मंदिर के बाहर एक बड़ा सा पत्थर रखा हुआ है. कहा जाता है कि ये पत्थर कोई असल पत्थर नहीं बल्कि एक कुम्हारिन है जो श्राप के कारण पत्थर बन गई. शाम होते ही इस मंदिर में सभी वास्तुकलाओं पर ताला लग जाता है और जैसे ही शाम होती है सभी इंसान इस मंदिर से दूर चले जाते हैं.
दरअसल ऐसा कहा जाता है कि जो भी इंसान सूरज ढलने के बाद इस मंदिर में रुकता है वो पत्थर बन जाता है. वहीं लोगों का तो ये भी कहना है कि ये मंदिर के आसपास जो भी पत्थर पड़े हुए हैं वो सब एक समय में इंसान थे. 19वी शताब्दी में तो इस क्षेत्र में भूकंप भी आया था जिसके बाद इस मंदिर में काफी ज्यादा नुक्सान हुआ था और इसका रख-रखाव ठीक से नहीं हो पाया था. इस मंदिर में सिर्फ विष्णु और सोमेश्वर भगवान ठीक हालत में हैं.
मंदिर की सच्चाई के बारे में जानने के लिए पैरानॉर्मल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने भी मंदिर की बालकनी में घोस्ट मशीन यानी इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड को मापने वाला उपकरण रखा था तो इसमें ये पाया गया कि इस मंदिर में इंसानों के अलावा दूसरी ताकत भी मौजूद है. हालांकि इस नकारात्मक ऊर्जा के बारे में अब तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए है.