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उप्र में डेंगू के कहर पर शासन हुआ सख्त, दो चिकित्सक निलम्बित

dagलखनऊ। उत्तर प्रदेश में डेंगू रोग के कहर को लेकर शासन सख्त हो गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने गुरुवार को सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों एवं जिला अस्पतालों व मेडिकल कालेजों में तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों और प्रधानाचार्यों को कड़े निर्देश दिये। लापरवाही के आरोप में दो चिकित्सकों को निलम्बित भी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देशों के अनुपालन में मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने जनपदों में तैनात समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि डेंगू रोग से प्रभावित रोगी का इलाज समय से न मिलने पर सम्बन्धित चिकित्सक की जिम्मेदारी नियत कर कड़ी कार्रवाई की जायेगीे। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित अन्य चिकित्साधिकारियों को भी प्रशासनिक कार्य के साथ प्रतिदिन कम से कम 04 घन्टे रोगियों के इलाज हेतु चिकित्सालयों में भी अपनी सेवाएं देना अनिवार्य कर दिया है। मुख्य सचिव आज वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से जनपदीय मुख्य चिकित्साधिकारियांे, मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों एवं मेडिकल कालेजों में तैनात प्रधानाचार्याें को आवश्यक निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि डेंगू रोग से बचाव हेतु आम नागरिकों को जागरूक करने हेतु सार्वजनिक स्थलों पर वाॅल पेन्टिंग कराने के साथ-साथ पूरे शहर में साफ-सफाई एवं फाॅगिंग अभियान चलाया जाये। उन्होंने कहा कि गत 03 माहों में टेस्ट के आधार पर चिन्हित एवं सूचीबद्ध डेंगू केसेज को क्षेत्रवार मैपिंग करने एवं इन चिन्हित क्षेत्रों में सघन फाॅगिंग, साफ-सफाई तथा जागरूकता का अभियान चलाया जाये। उन्होंने कहा कि डेंगू बीमारी से सम्बन्धित आवश्यक दवाएं एवं टेस्ट किट्स की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता प्रत्येक दशा में सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कड़े निर्देश दिये कि सभी प्रमुख चिकित्सालयों में डेडीकेटेड डेंगू वार्ड, चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। दीपक सिंघल ने शासकीय दायित्वों का निर्वहन न करने वाले इलाहाबाद जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात डाॅ0 महेन्द्र सिंह तथा मेरठ के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात डाॅ0 मीनू रानी गुप्ता को घोर लापरवाही और अनुशासनहीनता बरतने के आरोप में निलम्बित कर दिया। साथ ही इलाहाबाद में तैनात डाॅ0 नीति श्रीवास्तव को दीर्घकालीन चिकित्सा अवकाश में रहने के कारण मेडिकल बोर्ड से जांच कराकर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही तत्काल कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि डेंगू रोग सहित अन्य बीमारियों से बचाव हेतु सम्बन्धित जिलाधिकारी अपने स्तर पर 15 दिनों तक प्रतिदिन समीक्षा कर स्थानीय स्तर पर आवश्यक व्यवस्थाएं प्राथमिकता से सुनिश्चित करायें। उन्होंने मण्डलों एवं जनपदों में तैनात स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अपने अधीनस्थ सी0एच0सी0, पी0एच0सी0 का निरीक्षण कर आवश्यक सफाई-व्यवस्था सुनिश्चित कराने के साथ-साथ मरीजों का समय से बेहतर निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराना सुनिश्चित करायें। उन्होंने कहा कि मीडिया से संवाद तथा नियमित रूप से ब्रीफिंग हेतु प्रत्येक चिकित्सालयों में मीडिया ब्रीफिंग के लिए एक नोडल आफिसर नामित किया जाये। मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को यह भी निर्देश दिये कि लगभग 10 जनपदों में रिक्त मुख्य चिकित्साधिकारियों पदों पर सुयोग्य अधिकारी की तैनाती तत्काल करा दी जाये। उन्होंने कहा कि अच्छे चिकित्सकों को चिकित्सा क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी में ज्ञानोपर्जन हेतु प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने हेतु आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित कराई जाये। उन्होंने कहा कि चिकित्सक नवीनतम तकनीकी का प्रयोग कर ई-मेडिकल सिस्टम लागू करने के बारे में गंभीरता से विचार करें। वीडियो कान्फ्रेन्सिंग में प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरूण कुमार सिन्हा, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, मिशन निदेशक, एनएचएम व सिफ्सा आलोक कुमार, स्टाफ आॅफिसर, मुख्य सचिव राजशेखर एवं एसएन श्रीवास्तव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस समय डेंगू रोग का कहर बरपा हुआ है। अकेले राजधानी लखनऊ में एक पूर्व मंत्री, दो दरोगा और एक पत्रकार समेत करीब डेढ़ दर्जन लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। पूरे प्रदेश में मौत का आकड़ा 25 के ऊपर पहुंच गया है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अरूण कुमार सिन्हा ने भी स्वीकार किया है कि प्रदेश के दस जनपदों में डेंगू रोग अपना पैर पसार चुका है।

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