श्री हरिकोटा :
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी दिनोंदिन सफलता की एक नई इबारत लिख रही है। अपने नए प्रयासों के तहत भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने बुधवार को श्री हरिकोटा से एक ही उड़ान में 20 सैटेलाइट को एक साथ अंतरिक्ष में भेजकर नया रिकॉर्ड रचा है। यह उड़ान आज सुबह 9.26 बजे हुई।
अपनी 36वीं उड़ान में पीएसएलवी-C34 कार्टोसैट-2 श्रृंखला के 727.5 किलो के सैटेलाइट के साथ 19 दूसरे सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया। इसरो ने 20 सैटेलाइटों को एक साथ लांच करके अपने ही 10 सैटेलाइटों को एक साथ भेजने के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
पीएसएलवी-C34 की लांचिंग श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से की गई। इन 20 सैटेलाइटों में से 17 कमर्शियल सैटेलाइटें थी। ये 17 सैटेलाइट अन्य देशों के है, इन्हें अंतरिक्ष में भेजने के लिए इसरो ने उनसे फीस ली है।
इसके अलावा दो सैटेलाइट देश के शिक्षा संस्थानों के है, जब कि एक सैटेलाइट इसरो का है। कॉर्टोसैट इसरो का अपना उपग्रह है। इन उपग्रहों का मुख्य मकसद धरती की हाइ रिजॉल्यूसन इमेज तैयार करना है। कॉर्टोसैट में खास तरह के कैमरे लगाए गए हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा।
इस सैटेलाइट के जरिए भारत ये सही सही तरीके से जान पाएगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं। इस सैटेलाइट के जरिए नदियों के कटाव से लेकर पहाड़ों के खनन तक की सटीक जानकारी मिलेगी। 2008 में इसरो ने एक साथ 10 सैटेलाइट को लांच करके नया कीर्तिमान रचा था।
अब तक इसरो 57 विदेशी सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है। बाहरी देशों के जो सैटेलाइट भेजे गए है, उनमें से एक सैटेलाइट गूगल के है। इसके अलावा चेन्नई की एक निजी यूनिवर्सिटी की सत्यभामा सैटेलाइट और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयंम सैटेलाइट भी भेजा गया है।
स्वयंम सैटेलाइट को हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाना है, वहीं सत्यभामा सैटेलाइट का इस्तेमाल वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के अध्ययन के लिए किया जाएगा।
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