कानपुर। उत्तर प्रदेश के चर्चित घोटाले एनआरएचएम का जिन्न एक बार फिर निकल आया और पूर्व मंत्री अंटू मिश्रा को अपनी गिरफ्त में ले लिया। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अंटू की किसी भी समय बसपा से छुट्टी हो सकती है। हालांकि अभी बसपा के पदाधिकारी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। तो वहीं बसपा महासचिव व कानपुर जोनल कोआर्डिनेटर ने एनआरएचएम का नाम सुनते ही फोन कट कर दिया। बताते चलें कि एनआरएचएम घोटाला उस समय सुर्खियों में आया जब राजनीतिक पार्टियां 2012 के चुनाव का ताना-बाना बुन रही थी। ऐसे में इस घोटाले से बसपा पूरी तरह से बैकफुट पर चली गई। जिसका परिणाम रहा कि बसपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। एक बार फिर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सीबीआई ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्रा उर्फ अंटू मिश्रा को घेरे में लेते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी। जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया। जानकारों का मानना है इस जिन्न के बाहर आने से बसपा को हर हाल में नुकसान झेलना पड़ेगा। सूत्रों ने बताया कि बसपा सुप्रिमों मायावती इस पूरे मामले को लेकर अपने सिपहसालारों से राय ले रही है। अगर मामला राजनीतिक हवा दी तो अंटू मिश्रा की छुट्टी होना तय है। बसपा जिलाध्क्ष प्रशांत दोहरे से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह सब राजनीतिक कारणों से हो रहा है। अंटू मिश्रा बसपा में रहते हैं या बाहर जाते हैं। इसका फैसला हाईकमान ही करेगा। फिलहाल वह कानपुर में पार्टी के हित में काम करते रहेगें। तो वहीं जब बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी से जब बात की गई तो उन्होंने एनआरएचएम का नाम सुनते ही फोन रख दिया। ऐसे में सूत्रों की खबर पर मुहर लगती दिख रही है।
मिश्रा कनेक्शन भी नहीं आएगा काम-
मूल रूप से कानपुर के रहने वाले अंटू मिश्रा बसपा के कद्दावर नेता सतीश मिश्रा के रिश्तेदार है। जिनके चलते वह कभी चुनाव न जीत पाने के बावजूद प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने में सफल रहे। सूत्रों ने बताया कि सतीश मिश्रा लाख उपाय कर लें बसपा सुप्रिमों मायावती राजनीतिक नुकसान को देखते हुए मिश्रा कनेक्शन को दरकिनार करते हुए किसी भी समय पार्टी से निकाल सकती है।
भाजपा में मिश्रा कर सकते है वापसी-
सीबीआई का शिकंजा कसते ही पूर्व मंत्री अपने बचने के लिए रास्ता तलाशने में जुट गए है। सूत्रों का कहना है कि अंटू मिश्रा एक बार फिर भाजपा में वापसी के लिए भाजपा नेताओं के यहां दस्तक देना शुरू कर दिया है। बताते चलें कि मिश्रा कानपुर की आर्यनगर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके है। हालांकि उन्हें जीत केवल बसपा के सत्ता में रहते हुए उप चुनाव में ही मिल सकी थी।
पिता का था दवा का कारोबार-
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के पिता दिनेश कुमार मिश्रा अंग्रेजी दवाइयों के बड़े कारोबारी थे। जिसके चलते सीबीआई ने उन्हें भी नहीं छोड़ा। सीबीआई को शक है कि अंग्रेजी दवाइयों के कारोबार से जुड़़ने के चलते इन्होंने सरकारी दवाइयों में काफी हेरा-फेरी की है। हालांकि इस घोटाले के सामने आते ही पिता ने दवा कारोबार को बंद कर दिया था।
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