नवंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में आई भारी गिरावट के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर के लक्ष्य को कम करने की जरूरत होगी।
एसबीआई कैप सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई को चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी अनुमान को घटाकर 7 फीसद करना चाहिए। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए 7.4 फीसद जीडीपी का अनुमान लगा रखा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हम उम्मीद करते हैं कि मौद्रिक समिति में शामिल सदस्य वास्तविक स्थिति को समझेंगे और घरेलू आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती की स्थिति को स्वीकार करेंगे।’ अर्थशास्त्री अर्जुन नागराजन और अमोल बोर ने लिखा है, ‘औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ें सदस्यों को जीडीपी के पूर्वानुमान के आंकड़ों पर फिर से विचार करने के लिए बाध्य करेगा।’
कमजोर वृद्धि दर और आरबीआई के लक्ष्य से महंगाई दर के दो फीसद नीचे रहने के बाद इस साल ब्याज दरों में कटौती की मांग उठ सकती है। ब्लूमबर्ग के सर्वे के मुताबिक दिसंबर महीने में महंगाई की दर 2.2 फीसद रह सकती है। नवंबर महीने में महंगाई दर 2.3 फीसद रही है।
गौरतलब है कि कोर सेक्टर में आई सु्स्ती से नवंबर महीने में देश के औद्योगिक विकास की दर को झटका लगा है। मैन्युफैक्यरिंग सेक्टर विशेषकर कंज्यूमर और कैपिटल गुड्स सेक्टर के ग्रोथ में आई सुस्ती की वजह से औद्योगिक उत्पादन में जबरदस्त गिरावट आई है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) कम होकर 0.5 फीसद हो गया, जो 17 महीनों का निचला स्तर है। पिछले साल के दौरान इसी महीने नें आईआईपी 8.5 फीसद रहा था।
इससे पहले जून 2017 में आईआईपी ग्रोथ रेट 0.3 फीसद रहा था। अप्रैल से नवंबर के दौरान औद्योगिक उत्पादन की विकास दर 5 फीसद की दर से आगे बढ़ी, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 3.2 फीसद रही थी। आईआईपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 77.63 फीसद है, जिसमें नवंबर महीने में 0.4 फीसद की गिरावट आई है। वहीं खनन क्षेत्र में वृद्धि दर 2.7 फीसद दर्ज की गई, जबकि नवंबर 2017 में इसकी ग्रोथ रेट 1.4 फीसद थी। पावर सेक्टर का ग्रोथ रेट 5.1 फीसद रहा, जबकि एक साल पहले यह 3.9 फीसद की वृद्धि दर से आगे बढ़ा था।
गौरतलब है कि कच्चे तेल और फर्टिलाइजर के उत्पादन में आई गिरावट की वजह से नवंबर महीने में कोर सेक्टर का ग्रोथ रेट कम होकर 16 महीनों के निचले स्तर पर चला गया था। नवंबर इस सेक्टर ग्रोथ रेट 3.5 फीसद दर्ज किया गया था।
कोर सेक्टर के ग्रोथ रेट में आई कमी का असर आईआईपी पर पड़ना तय माना जाता है, क्योंकि आईआईपी इंडेक्स में इसकी हिस्सेदारी 41 फीसद होती है।