उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। केदारघाटी में रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर भी काम चल रहा है। यहां बड़ी मात्रा में निकल रहे मलबे को डंपिंग जोन में डालने के बजाय सीधे मंदाकिनी नदी में उड़ेला जा रहा है।
इससे मंदाकिनी का बहाव थमने की आशंका बढ़ गई है। अलकनंदा नदी में भी मलबा डाला जा रहा है। इन नदियों के प्रवाह का अवरुद्ध होना, जून 2013 जैसी किसी भीषण आपदा का सबब बन सकता है। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में निर्माण एजेंसी द्वारा बरती जा रही लापरवाही सवालिया निशान खड़े कर रही है।
बननी हैं 900 किमी सड़कें
ऑल वेदर रोड यानी जिस पर हर मौसम में परिवहन किया जा सके, भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत चारधाम की यात्रा को वर्ष में 12 महीने सुगम बनाना और चीन की सीमा तक अच्छी और पक्की सड़क का निर्माण करना है। चार धाम राजमार्ग परियोजना के तहत 900 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कें बनाई जानी हैं।
निजी कंपनी कर रही काम
ऑल वेदर रोड के तहत गौरीकुंड हाईवे को जोडऩे वाले साढ़े तीन किमी लंबे जवाड़ी बाईपास के निर्माण का जिम्मा नेशनल हाईवे, लोक निर्माण विभाग की रुद्रप्रयाग शाखा ने आरजीबी कंपनी को सौंपा है। यह बाईपास मार्ग रुद्रप्रयाग में संगम तक अलकनंदा नदी और इससे आगे मंदाकिनी नदी के बायें किनारे से होते हुए गौरीकुंड हाईवे से जुड़ेगा। जिस पर इन दिनों दिन-रात कटिंग का कार्य चल रहा है।
ताक पर नियम
नियमानुसार सड़क कटिंग का मलबा डंपिंग जोन में ही डाला जा सकता है। लेकिन, यहां तो नियमों को ताक पर रख सारा मलबा मंदाकिनी नदी में उड़ेल दिया जा रहा है। हालांकि रुद्रप्रयाग लोक निर्माण विभाग के दफ्तर के ठीक सामने मलबा डालने के लिए डंपिंग जोन बनाया गया है, लेकिन इसका इस्तेमाल केवल दिखावे के लिए हो रहा है।
खतरे का सबब
लगातार मलबा डाले जाने से मंदाकिनी का बहाव अवरुद्ध होने की भी आशंका गहराने लगी है। मंदाकिनी नदी जून 2013 की केदारनाथ आपदा का सबब बनी थी। इसके प्रवाह के साथ छेड़छाड़ इस क्षेत्र में आपदा का कारण बन सकती है।
रुद्रप्रयाग संगम से पहले अलकनंदा नदी में भी वन विभाग के उप वन संरक्षक कार्यालय के ठीक नीचे रोड कटिंग का मलबा डाला जा रहा है। बरसात में यही मलबा श्रीनगर जल-विद्युत परियोजना की झील के लिए खतरा बन सकता है।
पर्यावरण की दृष्टि से खतरनाक
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.आरसी शर्मा के मुताबिक नदी में मलबा डाल जाना पर्यावरण की दृष्टि से बेहद खतरनाक है। इससे जल प्रदूषित होने के साथ ही जलीय जीव-जंतुओं को भी नुकसान पहुंच सकता है। यदि इसे तत्काल रोका न गया तो इकोलॉजिकल सिस्टम बिगडऩा तय है।
कंपनी से मांगेंगे जवाब
नेशनल हाईवे के अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार के अनुसार रोड कटिंग का मलबा डंपिंग जोन में ही डालने का प्रावधान है। इस संबंध में निर्माण कंपनी आरजीबी से जवाब मांगा जाएगा।
जांच कर होगी कार्रवाई
जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग मंगेश घिल्डियाल के अनुसार रोड कटिंग का मलबा हर हाल में डंपिंग जोन में ही डाला जाना है। नदी में मलबा डाला जाना गंभीर मामला है। इसकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।