लखनऊ। केंद्र की भाजपा सरकार देश में ओबीसी के आरक्षण कोटे में एक और कोटा देगी। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। इसे यूपी चुनाव को देखते हुए भाजपा का एक बड़ा दांव माना जा रहा है। केंद्र सरकार घुमंतू जातियों, विमुक्त जातियों और डी नोटिफाइड जातियों के लिए ओबीसी के तय आरक्षण कोटे में अलग से आरक्षण का कोटा निर्धारित करेगी। केंद्र सरकार विमुक्त और घुमंतू 666 जातियों और 540 अत्यधिक पिछड़ी जातियों को अलग से कोटा देगी। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग से इस संबंध में एक रिपोर्ट मांगी गई थी। पिछड़ा आयोग ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है, उसी के आधार पर यह दांव चला जा रहा है। भाजपा इस कोटे के हंसिया से यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों की फसल काटना चाहती है।भाजपा के थिंक टैंक का मानना है कि जिस तरह से बिहार में नीतीश ने दलितों में महादलित और पिछड़ों में अति पिछड़ों का कार्ड खेलकर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की है, उसी तरह भाजपा भी अपनी नींव मजबूत कर सकती है।भाजपा की सोच है कि इसे लागू कर यूपी ही नहीं, पूरे देश में इन जातियों का वोट उसे मिल सकता है। पूरे देश में इन वर्गों की आबादी करीब 40 करोड़ मानी जाती है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के दस सांसद इन्हीं वर्गों से आते हैं।
क्या है राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को ओबीसी जातियों के मौजूदा स्टेटस और बेहतरी के लिए अध्ययन कर एक रिपोर्ट बनाकर देने का निर्देश दिया था। आयोग ने अध्यक्ष जस्टिस वी ईश्वरैया के नेतृत्व में स्टडी कर सरकार को यह रिपोर्ट सौंप दी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों का तीन श्रेणियों में उपवर्गीकरण करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है।
क्या है इस रिपोर्ट में आयोग ने अपनी रिपोर्ट में तीन उपवर्ग बनाए हैं।
ग्रुप ए में विमुक्त, घुमंतू और अत्यंत पिछड़ी जातियों को शामिल करने की बात कही गई है। जैसे भीख मांगने वाले, सपेरा, चिडि़मार, नट, शिकारी, ताड़ के पत्तों से चटाई व टोकरी बनाने वाले, बांस का काम करने वाले और ड्रम बजाने वाले फकीर आदि को शामिल किए जाने की बात कही है।ग्रुप बी में नाई, वाणी, लुहार, सुनार, दर्जी, धोबी, तेली, माली, कोली, गोवारी, धनगड, जूट का काम करने वाले, भेड़ चराने वालों आदि को रखा गया है।ग्रुप सी में उन दलितों को शामिल करने की सिफारिश की गई है, जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया है लेकिन वह अपना पहले वाला पेशा ही कर रहे हैं।
वर्जनअन्य पिछडा वर्ग की जातियों के बारे में स्टडी कर हमने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में ओबीसी की जातियों को तीन उपवर्गों में बांटने की सिफारिश सरकार से की गई है।
जस्टिस वी ईश्वरैया अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग
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