बिलियन डॉलर (लगभग 13,000 करोड़ रुपये) के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले को लेकर आंतरिक जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जांच रिपोर्ट के मुताबिक बैंक के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक जोखिम नियंत्रण और निगरानी तंत्र से जुड़ी खामियों के कारण इस घोटाले को अंजाम देने वाले कर्मचारियों की करतूत समय रहते पकड़ में नहीं आ सकी।
पीएनबी जो कि देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है, ने इससे पहले जानकारी दी थी कि उसकी मुंबई शाखा के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से ज्वैलरी सेक्टर की दो कंपनियों को फर्जी तरीके से बैंक गारंटी (एलओयू) जारी की गई थी। इन दोनों ज्वैलरी कंपनियों का मालिकाना हक नीरव मोदी और उनके चाचा मेहुल चौकसी का मालिकाना हक है। इन दोनों ने ही विदेशी क्रेडिट के जरिए अरबों डॉलर निकाले और देश के बड़े बैंकिंग घोटाले को अंजाम दे दिया।
पंजाब नेशनल बैंक के सीईओ सुनील मेहता ने बताया कि अप्रैल महीने में उन्होंने 21 अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया था और कहा कि अन्य लोगों को छूट नहीं दी जाएगी, लेकिन उन्होंने छोटी उथलपुथल को भी फ्रॉड के रूप में वर्णित किया। पीएनबी के जिन अधिकारियों को आंतरिक जांच का जिम्मा सौंपा गया था, उन्होंने 162 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है जिसमें कहा गया है कि फर्जीवाड़े के तार पीएनबी की कुछ नहीं बल्कि कई शाखाओं से जुड़े हैं।