वित्त वर्ष 2017-18 (आंकलन वर्ष 2018-19) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 निर्धारित है। ऐसे में आपके पास काफी कम समय बचा है। हाल ही में आयकर विभाग की ओर से आईटीआर के सातों फॉर्म जारी किए जा चुके हैं। अलग-अलग आय वर्ग और नौकरी के इतर अन्य तरीकों से आमदनी करने वाले लोगों के लिए एक निश्चित फॉर्म निर्धारित होता है। यानी आप इन सातों फॉर्म्स में से अपनी पात्रता के हिसाब से आईटीआर फॉर्म का चयन कर उसे भर सकते हैं। हम अपनी इस खबर में आपको जानकारी दे रहे हैं कि प्रोफेशनल्स के लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना जरूरी होता है।
प्रोफेशनल्स की फीस को नहीं माना जाता है सैलरी?
प्रोफेशनल्स ऐसे लोग होते हैं जो कि अपनी सेवाएं दूसरों को मुहैया करवाते हैं। यानी से ऐसे व्यवसायी होते हैं जिन्हें आमदनी तो होती है लेकिन वो सैलरी नहीं मानी जाती है, क्योंकि तकनीकी भाषा में सैलरी का कॉन्सेप्ट ऐसे स्थान से संबंधित है जहां कर्मचारी और नियोक्ता एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। हमने इस संबंध में टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेड अकाउंट अंकित गुप्ता से बात की है।
उदाहरण से समझिए: अगर आपको 30,000 रुपये की फीस मिलनी है तो आपकी सेवा लेने वाला 10 फीसद टीडीएस काटकर ही आपको भुगतान करेगा। आयकर की धारा 194 J में इसका उल्लेख है। ऐसे लोग या तो ITR 3 भरेंगे या फिर ITR4।
ITR 3 किसके लिए: जिन प्रोफेशनल्स को फीस के मद में मिलने वाला पैसा 50 लाख सालाना से ज्यादा हो और वो ऑडिट कराने के लिए अकाउंटेबल हों उन्हें यह फॉर्म भरना होता है।
ITR4 किसके लिए: वहीं ऑडिटिंग न कराने वाले प्रोफेशनल्स को आईटीआर 4 भरना होता है।
किस सूरत में नहीं मिलेगा रिफंड?
रिफंड बनने की सूरत में नियमत: आपको रिफंड मिल जाता है। लेकिन अगर आपका टैक्स अमाउंट टीडीएस से ज्यादा हुआ तो उस सूरत में आपको रिफंड नहीं मिलेगा।