उधर, भारी विरोध और प्रदर्शन के बीच आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। प्रदर्शन को देखते हुए सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं। लोग जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकल रहे हैं, ऐसे में कई जगहों पर सड़कों पर सन्नाटा भी पसरा है। कोडागू और विराजपत सहित कई इलाके प्रभावित हैं।
कोडागु की डिप्टी कमिश्नर पी आई श्रीविद्या का कहना है कि हमने सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम कर रखे हैं। अगर कोई कानून और व्यवस्था का उल्लंघन करता है तो उसपर पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी।
वहीं प्रदर्शन कर रहे विभिन्न समूहों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। तनाव को देखते हुए कोडागु, हुबली और धारवाड़ में धारा 144 लागू कर दी गई है।
कोडागु में 2016 और 2017 में टीपू जयंती के दौरान हिंसा की घटनाएं हुई थीं। वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार ने घोषणा कर दी है कि वह बीजेपी के विरोध के बावजूद इस वर्ष भी 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक ही मनाएगी। बीजेपी ने मैसूर के शासक को अत्याचारी करार दिया है।
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने कहा है कि एक अत्याचारी के जन्मदिन को मनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि टीपू सुल्तान हिंदू विरोधी थे। बीजेपी प्रवक्ता एस प्रकाश ने कहा कि जब पिछली कांग्रेस सरकार ने टीपू जयंती मनाने का फैसला किया था, उस समय उनका काफी विरोध हुआ था।
इससे पहले येदियुरप्पा ने भी इसका विरोध करते हुए कहा था, ‘हम टीपू जयंती का विरोध कर रहे हैं और लोगों के हित में राज्य सरकार को इसे रोकना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘टीपू जयंती मनाने के पीछे सरकार की मंशा केवल मुस्लिम समुदाय को संतुष्ट करने की है।’ विरोध के बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने चेतावनी दी है कि यदि किसी ने आधिकारिक कार्यक्रम में बाधा डाली तो उसे कानून का सामना करना होगा।