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कारगिल विजय दिवस : देश के सपूतों को याद कर आज भी नम हो जाती हैं आखें

कारगिल विजय दिवस : देश के सपूतों को याद कर आज भी नम हो जाती हैं आखें

कारगिल युद्ध का नाम आते ही ना जाने कितने ही शहीदों का चेहरा दिमाग में आ जाता है. वैसे तो कारगिल में 500 से भी ज्यादा जवान शहीद हुए थे. इनमे से कुछ ही जवानों का नाम और चेहरा याद रहता है लेकिन क्या आप आबिद खान, आजाद सिंह, विजेंद्र सिंह को जानते है? शायद आपका भी जवाब ना ही होगा लेकिन हम आपको बता दें ये तीनों नायक भी कारगिल युद्ध में भारत माता की रक्षा के लिए अपनी जान गवां बैठे थे. एक ओर तो कारगिल युद्ध जीतने पर देशभर में खुशियां मनाई जा रहीं थी वहीं दूसरी ओर देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले सभी जवानों के घर पर मातम का माहौल बना हुआ था.कारगिल विजय दिवस : देश के सपूतों को याद कर आज भी नम हो जाती हैं आखें

अपना बेटा खोने के गम में हर कोई सदमे में चला गया था लेकिन फिर भी मन में तसल्ली थी कि बेटे ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है. तिरंगे में लिपटकर घर आना हर किसी के लिए सौभाग्य की बात होती है और कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को ये सौभाग्य प्राप्त हुआ था. भारत मां के इन सभी लाल ने कारगिल युद्ध में अपना सब कुछ माता के नाम कर दिया था. विजेंद्र मार्च 1998 में कुमायूं रेजिमेंट भर्ती हुए थे. विजेंद्र ने चोटी नंबर 5685 पर चढ़कर पकिस्तानों पर हमला किया था लेकिन इस दौरान दुश्मनों ने विजेंद्र पर ही हमला बोल दिया और उनके सीने पर गोली लग गई थी.

कारगिल युद्ध के दौरान आजाद सिंह भी 4730 मुश्कोह घाटी पर थे. आजाद ने तो करीब 21 दुश्मनों को मार गिराया था लेकिन तभी एक गोली उनके सीने पर लग गई. आबिद खान का भी बचपन से सेना में भर्ती होने का सपना था. आबिद खान ने कारगिल युद्ध में करीब 17 पाक सैनिकों को मार गिराया था. आबिद के पैर गोली लग गई थी जिसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी थी. लेकिन फिर आबिद को एक और गोली आ लगी जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया था.

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