जप, तप, त्याग और समर्पण की धरा प्रयाग की अलौकिक आभा दुनिया भर का ध्यान आकर्षित कर रही है। परमपिता ब्रह्मा जी यज्ञ स्थली में संगम तीरे 33 कोटि देवों को साधने के लिए संत व श्रद्धालु स्नान, दान व ध्यान में लीन हैं। नागा संन्यासियों की अद्भुत दुनिया, कर्णप्रिय कीर्तनों की गूंज, मंत्रोच्चार के बीच यज्ञकुंड में पड़ती आहुति से सनातन संस्कृति प्रवाहमान है। हर कोई भक्ति, भजन व दान के जरिए आराध्य की कृपा प्राप्ति को प्रयत्नशील है।
संगम तीरे दो लाख संत-महात्मा तो 50 हजार कल्पवासी भी
बांध के नीचे संगम तीरे दो लाख से अधिक संत-महात्मा प्रवास कर रहे हैं। वहीं संतों के सानिध्य में 50 हजार से अधिक कल्पवासी भजन-पूजन में लीन हैं। मकर संक्रांति से आरंभ हुए कुंभ मेले की रौनक दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भोर में तीन बजे से गंगा व संगम में डुबकी लगाने के बाद संत-महात्मा व श्रद्धालु भजन-कीर्तन में लीन हो रहे हैं। सूर्योदय के बाद रौनक और बढ़ जाती है।
आकर्षण का केंद्र अखाड़ों के शिविर
हर किसी के आकर्षण का केंद्र रहते हैं 13 अखाड़ों के शिविर। दिन भर अखाड़ों के शिविर में श्रद्धालुओं का जमघट रहता है। यह सिलसिला देर रात तक चलता है। अखाड़ों के शिविरों में रात दस बजे घंटा-घडिय़ाल के बीच होने वाली आरती माहौल में भक्ति का रस घोलती है। मध्यरात्रि तक देश-विदेश से आए श्रद्धालु धूनी रमाए नागा संन्यासियों को घेरकर उनकी रहस्यमयी दुनिया का राज जानने को आतुर नजर आते हैं।
संगम तीरे होंगे हजारों पिंडदान
प्रयाग की धरा पर त्याग की अदभुत मिसाल देखने को मिलेगी, वह है हजारों लोगों के ङ्क्षपडदान का। मौनी अमावस्या स्नान पर्व चार फरवरी से पहले करीब 25 हजार से अधिक लोग नागा संन्यासी बनने के लिए जीते-जी अपना पिंडदान कराकर धर्म के प्रति खुद को समर्पित करेंगे। सबसे अधिक जूना अखाड़ा दस हजार लोगों को नागा संन्यास की दीक्षा देगा। आवाहन अखाड़ा पांच हजार से अधिक नागा संन्यासी बनाने की तैयारी कर रहा है। जबकि महानिर्वाणी व निरंजनी अखाड़ा भी दस हजार के लगभग लोगों को नागा संन्यासी बनाने की तैयारी कर रहा है। सारे अखाड़े अलग-अलग तिथियों पर संगम तीरे नागा संन्यास की दीक्षा देंगे। संगम तीरे सबका मुंडन कराकर पिंडदान कराकर दीक्षित किया जाएगा।
प्रवाहित हो रहा महामना का विचार
कुंभ क्षेत्र में भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय का विचार प्रवाहित हो रहा है। महामना शिविर में मदन मोहन मालवीय के चित्र, पुस्तकों, पत्रों की प्रदर्शनी लगी है। देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालु शिविर में मदन मोहन मालवीय के कृतित्व-व्यक्तित्व से स्वयं को जोड़ रहे हैं। कुंभ क्षेत्र में पहली बार ऐसा शिविर लगा है जो हर किसी के आकर्षण का केंद्र है।
…यहां देवों की नहीं, हो रही शहीदों की पूजा
वैसे तो कुंभ नगरी में बने हर शिविर में देवी-देवताओं की पूजा हो रही है। मंत्रोच्चार की गूंज हर शिविर से उठती है। वहीं स्वामी बालकानंद की पूजा थोड़ी अलग है। वह देवी-देवताओं की जगह शहीदों की पूजा कर रहे हैं। इनके शिविर में चारों ओर शहीदों के चित्र लगे हैं, शहीदों के निमित्त अनुष्ठान एवं सैनिकों को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्ति के लिए प्रतिदिन अनुष्ठान करते हैं।
किन्नर अखाड़ा में मां काली की स्तुति
कुंभ क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण किन्नर अखाड़ा बना है। सड़क पर नाचने-गाने वाले किन्नरों को संन्यासी के रूप में देखने दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के दरबार में मनौती की पोटली लिए सैकड़ों लोग आशीर्वाद की आस में आधी रात तक एकत्रित रहते हैं। वहीं शिविर में महामंडलेश्वर भवानी मायी मां काली की प्रसन्नता को शमशाम स्तुति कर रही हैं। यह स्तुति पूरे कुंभ तक चलेगी।