 कुशीनगर। जिले में बन रहे दो नए विद्युत सब स्टेशन को बिजली आपूर्ति देने के लिए विभाग 33 हजार बोल्ट की भूमिगत ट्रांसमिशन लाइन बिछा रहा है। जिले में आई इस नई तकनीक से खेती व आबादी को बड़ा फायदा हुआ है। दरअसल पूर्व में ट्रांसमिशन लाइन खुले में होकर जाती थी। जिसकी जद में खेत व मकान आ जाते थे। इस लाइन के बिछने से फाल्ट की समस्या से भी निजात मिलेगी। कुशीनगर के पड़रौना जिला मुख्यालय पर 10 एमबीए और ग्रामीण क्षेत्र साखोपार में 5 एमबीए क्षमता का सब स्टेशन स्थापित किया गया है। कसया के 132 केवीए के विद्युत स्टेशन से इन दोनों सब स्टेशनों को बिजली की आपूर्ति की जानी है। आपूर्ति के लिए विभाग ने इस बार पंरपरागत तकनीक यानी खुलें में पोल व वायर न लगाकर भूमिगत केबल बिछाकर आपूर्ति देने की योजना बनाई। इस निमित्त शुरू हुआ कार्य समाप्त होने के कगार पर है। नई तकनीक सस्ती होने के कारण विभाग के बजट में कमी आई है दूसरी ओर आबादी में रहने वाले लोग व किसान सकून महसूस कर रहे है। कारण कि आबादी के उपर से पोल के माध्यम से तार जाने के कारण लोग अपने मकान की उपरी मंजिल का विस्तार नहीं कर पाते थेए दूसरी ओर खेतों में पोल गड़ने से किसानों का नुकसान होता था और जान जाने का भी खतरा बना रहता था। मकान बनवाने के लिए लोगों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती थी सो अलग। एस डी ओ ज्ञानचंद ने बताया कि भूमिगत केवल बिछाने का कार्य अंतिम चरण में है। आम जनता को फायदा होने के साथ विभाग को नई तकनीक से काफी राहत है।
कुशीनगर। जिले में बन रहे दो नए विद्युत सब स्टेशन को बिजली आपूर्ति देने के लिए विभाग 33 हजार बोल्ट की भूमिगत ट्रांसमिशन लाइन बिछा रहा है। जिले में आई इस नई तकनीक से खेती व आबादी को बड़ा फायदा हुआ है। दरअसल पूर्व में ट्रांसमिशन लाइन खुले में होकर जाती थी। जिसकी जद में खेत व मकान आ जाते थे। इस लाइन के बिछने से फाल्ट की समस्या से भी निजात मिलेगी। कुशीनगर के पड़रौना जिला मुख्यालय पर 10 एमबीए और ग्रामीण क्षेत्र साखोपार में 5 एमबीए क्षमता का सब स्टेशन स्थापित किया गया है। कसया के 132 केवीए के विद्युत स्टेशन से इन दोनों सब स्टेशनों को बिजली की आपूर्ति की जानी है। आपूर्ति के लिए विभाग ने इस बार पंरपरागत तकनीक यानी खुलें में पोल व वायर न लगाकर भूमिगत केबल बिछाकर आपूर्ति देने की योजना बनाई। इस निमित्त शुरू हुआ कार्य समाप्त होने के कगार पर है। नई तकनीक सस्ती होने के कारण विभाग के बजट में कमी आई है दूसरी ओर आबादी में रहने वाले लोग व किसान सकून महसूस कर रहे है। कारण कि आबादी के उपर से पोल के माध्यम से तार जाने के कारण लोग अपने मकान की उपरी मंजिल का विस्तार नहीं कर पाते थेए दूसरी ओर खेतों में पोल गड़ने से किसानों का नुकसान होता था और जान जाने का भी खतरा बना रहता था। मकान बनवाने के लिए लोगों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती थी सो अलग। एस डी ओ ज्ञानचंद ने बताया कि भूमिगत केवल बिछाने का कार्य अंतिम चरण में है। आम जनता को फायदा होने के साथ विभाग को नई तकनीक से काफी राहत है।
 
		
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