मुंबई। केर्न-वेदांता मर्जर को मंजूरी मिल गई है। डील के बाद वेदांता का हिस्सा 63 फीसदी से घटकर 50 फीसदी होगा। क्योंकि इस डील को अभी रेगुलेटर और छोटे शेयरधारकों से मंजूरी जरूरी है। नए प्रेफरेंस शेयर 18 महीने की अवधि के होंगे, जिनकी कूपन वैल्यू 7.5 फीसदी होगी। बता दें कि केर्न-वेदांता मर्जर को अभी एफआईपीबी और कोर्ट से मंजूरी मिलना बाकी है।
मिली जानकारी के अनुसार सबसे बातचीत करने के बाद प्रीमियम तय किया गया है। नई कंपनियों के पहले से ज्यादा संतुलित होने के आसार है। वेदांता ने पूरे देश में अपनी स्थिति मजबूत की है। मर्जर के बाद नेटवर्क रिसोर्सेज बेहतर होंगे। मर्जर में छोटे शेयरधारकों पर खास ध्यान रखा गया है। मर्जर में किसी तरह की कोई बाधा नहीं आएगी। केर्न-वेदांता मर्जर क्या छोटे निवेशकों के हित में है इस बारे में बात करते हुए इंस्टीट्य़ूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विजेज के एक अधिकारी ने कहा कि केर्न-वेदांता मर्जर से निवेशकों को फायदा होगा। देश में बड़ी नैचुरल रिसोर्स कंपनी बहुत जरूरी है। मर्जर से कारोबार में बैलेंस बिठाने में मदद मिलेगी।
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