उत्तराखंड में वन विश्राम भवनों (फॉरेस्ट रेस्ट हाउस) में ठहरना अब महंगा होगा। इसकी दरों में दो से ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में की गई ऐसी पहल के बाद प्रदेश के सभी वन विश्राम भवनों के मामले में भी सरकार ने ऐसा करने की ठानी है।
वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को इसका प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट रेस्ट हाउसों का ठीक से रखरखाव नहीं हो पा रहा, ऐसे में नई दरों का निर्धारण करना जरूरी है। राज्यभर में वन विश्राम भवनों की संख्या 350 के लगभग है और इनमें एक रात्रि ठहरने का शुल्क भारतीयों के लिए 250 से 5000 रुपये और विदेशियों के लिए पांच सौ से 12 हजार रुपये तक है। पिछले कई सालों से इनकी दरों में इजाफा नहीं हुआ है, जबकि दरों में वृद्धि की बात लंबे अर्से से चल रही है।
इस बीच बीती सात मई को हुई टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर कार्बेट टाइगर रिजर्व की शासी निकाय की बैठक में इस रिजर्व के अंतर्गत आने वाले वन विश्राम भवनों के लिए दरों में दो से ढाई गुना वृद्धि का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस बारे में शासनादेश होना बाकी है। माना जा रहा कि कार्बेट में इस साल 15 नवंबर को पार्क खुलने के बाद वहां नई दरें लागू हो जाएंगी।
अब इसी तर्ज पर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में वन विश्राम भवनों के शुल्क की दरों में बढ़ोतरी का निश्चय किया गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा कि विभाग के तमाम रेस्ट हाउस ऐतिहासिक हैं। इनमें कई आजादी से पहले के बने हैं। ठहरने को शुल्क की दरें कम होने के कारण इनका रखरखाव ठीक से नहीं हो पा रहा है। ऐसे में शुल्क की दरों में बढ़ोतरी समय की मांग है।
डॉ. रावत ने कहा कि शुल्क की नई दरों के संबंध में पीसीसीएफ जय राज को प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है। इसमें इस बात का ख्याल रखने को कहा गया है कि स्कूली बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को कुछ छूट भी दी जाए। उन्होंने कहा कि शुल्क की दरें बढ़ने से होने वाली आय वन विश्राम भवनों के रखरखाव पर खर्च करने के साथ ही वहां अन्य सुविधाएं जुटाने पर खर्च की जाएगी।
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