नई दिल्ली। विदेशों से एफडीआई के बदले में लाभांश और अन्य पूंजीगत लाभों के रूप में विदेशी निवेशकों को दी जाने वाली राशि के संबंध में किए गए सवाल पर वित्त मंत्री ने आज लोकसभा में कहा कि कोई भी चैरिटी के लिए निवेश नहीं करता। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि जो कोई भी व्यक्ति निवेश करता है , चाहे घरेलू स्तर पर हो या विदेशी स्तर पर , वह लाभांश या अन्य जो भी शुल्क बनता है वह चाहता है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ कोई भी चैरिटी के लिए निवेश नहीं करता। यदि निवेशक को हमारे यहां लाभ नहीं होगा तो वह किसी और देश में जाकर निवेश करेगा।’’ उन्होंने कहा कि घरेलू निवेश कम होने का एक कारण यह रहा है कि निजी क्षेत्र कुछ दबाव में रहा है। सरकारी निवेश सरकारी धन से और विदेशी स्रोतों से होता है लेकिन यदि किसी विदेशी कंपनी को लाभ नहीं होगा तो निवेश क्यों करेगा। वित्त मंत्री ने इसके साथ ही बताया कि पिछले दो सालों में एफडीआई में रिकार्ड 53 फीसदी की वृद्धि हुई है जो सबसे अधिक है। उन्होंने इस वृद्धि को सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का सकारात्मक परिणाम बताया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कई क्षेत्रों को एफडीआई के लिए खोला है तथा कुछ और अन्य क्षेत्रों को अभी खोला जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि एफडीआई को आकषिर्त करने के लिए कुछ शर्ते होती हैं और उन शर्तो को भी सुचारू बनाया जा रहा है। एफडीआई के बदले में निवेश करने वाली कंपनियों द्वारा लाभांश लेने के संबंध में वित्त मंत्री ने कहा कि यह किसी भी तरह से गैर कानूनी या कारोबार के सिद्धांतों के विपरीत नहीं है। उन्होंने साथ ही बताया कि निवेश को अर्थव्यवस्था में सकल बचत द्वारा अंशत: या पूर्णत: वित्त पोषित किया जा सकता है। सकल बचत में यदि कोई कमी है तो उसे शेष विश्व से निवल पूंजी अंतर्वाह से पूरा किया जाता है।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal