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खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर दलितों को मिले खेती का अधिकार: मायावती

mayaलखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दलितों को सरकारी खाली पड़ी जमीन पर खेती करने का अधिकार देने की मांग उठाई है जिससे दलित स्वभिमान और सम्मान से जीवन व्यतीत कर सके।

मायावती ने गुरूवार को जारी एक बयान में कहा कि गुजरात की भाजपा सरकार अनेकों प्रकार के हथकण्डे अपनाकर इनके आन्दोलन को कुचलना चाहती है। दलित समाज के लोग सरकारी दया व सहानुभूति के भूखे नहीं हैं। वे लोग अपने संवैधानिक व कानूनी हक को जमीनी सच्चाई में बदलता हुआ देखना चाहते है।

मायावती ने कहा कि सरकार की खाली पड़ी बंजर जमीनों आदि को भूमिहीनों खासकर दलित व आदिवासी समाज के भूमिहीनों में बाँटना गुजरात सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिये, क्योंकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री मोदी, दोनों ही गुजरात राज्य से आते हैं तथा दलितों के प्रति उभरे अपने नये-नये प्रेम को उजागर करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते हैं। वे दोनों ही लोग परमपूज्य बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर को भी याद रखने की कोशिश करते हैं।

इसलिये उन्हें दिखावटी व बनावटी दलित प्रेम त्यागकर खासकर भाजपा- शासित राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, हरियाणा व राजस्थान आदि में एक विशेष अभियान चलाकर दलित समाज के लोगों में खाली व बंजर पड़ी सरकारी जमीनों को आवंटित करने का काम शुरू करना चाहिये। क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीएसपी ने अपने शासनकाल के दौरान ऐसा करके भी दिखाया है।

उन्होंने कहा कि अपनी इसी माँग को लेकर गुजरात के जूनागढ़ जिले के कलेक्ट्रेट के सामने पिछले कई दिनों से वहाँ शांतिपूर्ण धरना पर बैठे दलित समाज के लोगों में से तीन ने अपनी माँग नहीं माने जाने के विरोध में जहर पीकर अपनी जान देने की कोशिश की, जिसमें से एक प्रभात परमार की मौत हो गयी। परमार को सन् 1991 को उसके गाँव सानधा से बेदखल कर दिया गया, क्योंकि उसने वहाँ खेती करके अपना जीवन यापन करने की कोशिश की थी।

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