नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा की निर्मलता उसके जीव-जंतुओं से प्रमाणित होगी। उन्होंने गुरूवार को लोकसभा में प्रश्न के जवाब में कहा ‘‘गंगा निर्मल हो गई है, यह हम किसी लैब से प्रमाणित नहीं करेंगे, बल् किजो जल जंतु जहां होना चाहिए, यदि वह वहां होगा तो वही गंगा की जीवन शक्ति का प्रमाण होगा।‘’
सुश्री भारती ने कहा कि हमने नदी के जीव-जंतुओं के बारे में केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान (सिफरी) के साथ करार करके एक परियोजना शुरू की जिससे एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का पता चला है। गंगा में स्नोट्राउट, गोल्डन फिश और हिल्सा जैसी मछलियां धीरे-धीरे खत्म हो गई हैं। फरक्का बैराज जहां से हिल्सा मछली चंबल तक आती थी, अब उसका आवागमन रूक गया है। उन्होंने कहस कि हम फरक्का बैराज में फिश लैडर का निर्माण करेंगे, ताकि हिल्सा मछली बैराज में चंबल तक वापस आ सके और मछुआरों को रोज़गार मिल सके। सुश्री भारती ने कहा कि अब हमने पर्यावरण मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय के साथ मिलकर यह तय किया है किगंगा पर किसी भी नई परियोजना के मामले में मालवीय करार का पालन करेंगे ताकिगंगा के जीव-जंतु सुरक्षित रह सकें।
उन्होंने कहा कि गंगा के लिए हमें जो 20 हज़ार करोड़ रुपए मिले हैं उसमें से 8 हजार करोड़ रुपए नई योजनाओं पर खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि गंगा को ठीक करने के लिए हमने जो योजना बनाई है उसका अगला चरण मथुरा, वृंदावन, कानपुर और वाराणसी में इस महीने की 20 तारीख से पहले शुरू हो जाएगा। मथुरा-वृंदावन का ट्रिटेड जल यमुना में छोड़ने के बजाय मथुरा तेल शोधन संयत्र को दिया जाएगा। वाराणसी में गंगा का ट्रिटेड जल गंगा में छोड़़ने के बजाय रेलवे को उपयोग के लिए दिया जाएगा। सुश्री भारती ने सदन को आश्वासन दिया कि नमामिगंगे का पहला चरण अक्तूबर, 2016 में, निर्मलता का दूसरा चरण अक्तूबर, 2018 तक और तीसरा चरण वर्ष 2020 तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा ‘’जब आए हैं गंगा के दर पर तो कुछ करके उठेंगे, या तो गंगा निर्मल हो जाएगी या मर के उठेंगे।‘’