चुनाव आयोग ने राज्य में मतदाता सूची को लेकर कथित रूप से बड़े पैमाने पर विसंगतियों के मामले पर जांच के बाद इस आरोप को गलत ठहराया है। आयोग ने कांग्रेस के आरोपों की जांच करने के लिए दो टीमों का गठन किया था। इन टीमों को 7 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था। 
आयोग की टीम ने जांच के लिए नरेला, भोजपुर, सिवनी-मालवा और होशंगाबाद विधानसभा सीटों का दौरा किया। बता दें कि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश चुनावों से पहले वोटर लिस्ट में बड़े फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था। बीजेपी पर मतदाता सूची में धांधली करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने चुनाव आयोग से जांच की मांग की थी।
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए फर्जी मतदाता सूची बनाने में शामिल अफसरों पर भी कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। पार्टी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि फर्जी वोटरों को रोकने के लिए वह आधार और तकनीक की भी सहायता ले।
इनमें से सिओनी मालवा क्षेत्र में 17 मतदान केन्द्रों की 82 सूचियों में से किसी में भी मतदाताओं के नाम का एक से अधिक बार उल्लेख नहीं पाया गया। जबकि इसी विधानसभा क्षेत्र के 20 मतदान केन्द्रों की मतदाता सूचियों में 2442 नाम मिलते-जुलते पाये गए। इसकी जांच में 2397 नाम सही पाए गए, जबकि 45 नामों को संबद्ध मतदाता की मौत या स्थानांतरण के कारण मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया चल रही है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने चुनाव आयोग से 1 जनवरी, 2018 को प्रकाशित हुई वोटर लिस्ट में 60 लाख फर्जी वोटरों के होने की शिकायत की थी। उन्होंने पूरी वोटर लिस्ट पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से इस फर्जीवाड़े की जांच कराने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग को 192 विधानसभाओं में शामिल फर्जी मतदाताओं की सीडी भी सौंपी थी।
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