इलाहाबाद में मंदिर का उद्घाटन करने पहुँचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को छात्राओं के विरोध का सामना करना पड़ा.
इलाहाबाद जनपद के धूमनगंज थाना क्षेत्र के इलाके में इलाहाबाद की दो छात्र नेताओं नेहा यादव और रमा यादव ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के काफिले को रोककर काले झंडे दिखाए. यह दोनों छात्राएँ उस समय अचानक ही अमित शाह के काफिले के सामने आ गईं जब वह लोग दिल्ली वापस जाने के लिए बमरौली हवाई अड्डे की ओर जा रहे थे. पुलिस ने फौरन ही दोनों लड़कियों को अपने गिरफ्त में लिया लेकिन गिरफ्तारी के दौरान पुलिस वालों द्वारा छात्राओं को लाठी से मारना और बाल घसीटने की घटना का वीडियो सामने आने के बाद सरकार और पुलिस की काफी आलोचना भी विपक्षी दलों द्वारा की जा रही है.
बताया जा रहा है कि यह छात्राएँ समाजवादी पार्टी की छात्र ईकाई की सदस्या हैं और उन्होंने यह कदम बीजेपी की नीतियों के विरोध में उठाया है. समाजवादी पार्टी के नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्विट करके इन छात्र नेताओं का हौसला बढ़ाया है. वहीं इस घटना के बाद इन लड़कियों के ऊपर लगे मुकदमे में जमानत याचिका खारिज़ हो जाने के बाद इनको नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है.
छात्र संगठनों और भाजपा की सरकार और पार्टी के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है. अभी अधिक दिन नहीं बीते हैं जब बनारस हिंदु विश्वविद्यालय में छेड़-छाड़ की घटनाओं के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच विवाद की स्थिति हो गई थी. और कई दिनों तक पुलिस और प्रशासन का डेरा बनारस हिंदु विश्वविद्यालय में रहा.
इसी के साथ जेएनयू और उसके नेता कन्हैया कुमार व हैदराबाद सेंट्रल यूनीवर्सिटी व वहाँ के शोध छात्र रोहित वैमुला का मामला पूरे देश ने देखा ही है. तो भाजपा सरकार और छात्रों के बीच कहीं ना कहीं कुछ तो है, जो सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा है. इसी के साथ देश भर के विश्वविद्यालयों में भाजपा की छात्र ईकाई एबीवीपी और विपक्षी खास तौर पर वाम झुकाव रखने वाले छात्र संगठनों के संघर्ष अक्सर सुर्खिया बन ही रहे हैं.
कैंपस में हो रही छात्र राजनीति को राष्ट्रवादी और राष्ट्रद्रोही के खेमे में बांटने की जल्दी भी शायद इस तरह के टकराव को अधिक जन्म दे रही है. वैसे भी छात्र राजनीति बची नहीं है, लेकिन जो है उसके साथ अगर ऐसे ही टकराव होते रहे तो शायद स्वस्थ्य लोकतंत्र की नर्सरी को हम खो देंगे.