दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 37 वें दीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुखिया रॉकेटमैन के.सिवन का सहज, सरल और सौम्य व्यक्तित्व सभी के दिल में उतर गया। जिस तरह आसान भाषा में छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से उन्होंने युवाओं को जीवन में बड़ा बनने की राह दिखाई, उसकी हर किसी ने तारीफ की। स्वयं कुलाधिपति राम नाईक ने उनके उद्बोधन की तारीफ की और कुलपति को निर्देश दिया कि मुख्य अतिथि के भाषण का ¨हदी तर्जुमा कर सभी छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। पेश हैं मुख्य अतिथि इसरो के अध्यक्ष के. सिवन के दीक्षांत भाषण के प्रमुख अंश ..
रॉकेटमैन के.सिवन ने कहा कि जब मैं आप लोगों को अपने सामने देखता हूं, मुझे आप सभी लोगों में अपना थोड़ा सा अक्स नजर आता है। मुझे अपना विद्यार्थी जीवन याद आ रहा है और मेरे मस्तिष्क में यह बात आ रही है कि एक दीक्षा समारोह के वक्ता के रूप में यहा मेरी उपस्थिति किसी चमत्कार से कम नहीं है।
के.सिवन ने कहा कि मैंने जीवन में जब-जब जो-जो चाहा, उसकी बजाय कुछ और मिला। इंजीनिय¨रग करना चाहा तो बीएससी करना पड़ा फिर इंजीनियर के रूप में आइएसएसी बंग्लुरु ज्वाइन करना चाहता था तो वीएसएससी ज्वाइन करना पड़ा। वीएसएससी में एयरोडायनमिक्स ग्रुप ज्वाइन करना चाहता था, मिला पीएसएलवी प्रोजेक्ट। इसीलिए मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि जब आपको कोई चीज नहीं मिलती तो इसका मतलब यही है कि कोई बड़ी चीज आपको मिलने वाली है।
रॉकेटमैन ने कहा कि हो सकता है कि असफलता मिले, लेकिन हर असफलता हमें कुछ नया करने के लिए अगला कदम उठाने का मौका देगी। इस क्रम में हमें इस रास्ते पर मनचाहा फल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हमें दो में से किसी एक को चुनना है या तो हम आरामदायक स्थिति में बने रहें व कुछ भी नया ना करें या फिर आराम की स्थिति से बाहर आकर थोड़ा जोखिम उठाएं। यदि आप हमेशा आरामदायक स्थिति में रहना चुनते हैं तो एक समय के बाद प्रतिस्पर्धा के खेल से आप बाहर हो जाएंगे।
के.सिवन ने कहा कि अपने अजीबोगरीब विचारों को छोड़ मत दीजिए क्योंकि वास्तविकता यह है कि दुनिया के बहुत से सफलतम आविष्कार इन्हीं अजीबोगरीब विचारों के कारण ही हुए हैं।
उनका मानना है कि शिक्षा एक जीवन पर्यत चलने वाली प्रक्रिया है। अगर आप ध्यान से देखें तो आप पाएंगे कि इसरो का दर्शन यह है कि विकास कई गुना होना चाहिए और ऐसा विकास पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है। ऐसा केवल कुछ नया करके और इस खतरे को उठाकर ही किया जा सकता है।
रॉकेटमैन के अनुसार 29 मार्च, 2018 को पीएसएलवी का प्रक्षेपण विफल हो गया। आखिर 12 अप्रैल, 2018 को उसी पीएसएलवी ने आइआरएनएसएस 11 सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। आज भारत दूसरे नंबर का एक ऐसा देश है, जहा पर इंटरनेट का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है लेकिन रफ्तार के मामले में हम दुनिया में 76वें नंबर पर हैं। इस वर्ष इसरो जीएसएटी 11 व 29 का प्रक्षेपण करेगा, जबकि अगले वर्ष जीएसएटी 20 की लांचिंग होगी। यह सब सेटेलाइट के माध्यम से किया जाएगा, जिससे हमें 100 जीबीपीएस से अधिक की डेटा स्पीड मिलेगी ।
रॉकेटमैन के.सिवन के अनुसार जनवरी, 2019 में चंद्रयान 2 मिशन प्रस्तावित है। हम जानते हैं कि 50 फीसद से अधिक चंद्रमिशन असफल हो चुके हैं, लेकिन फिर भी हम खतरा उठाएंगे। प्रक्षेपण का स्थान 70 डिग्री अक्षाश होगा, जहा इससे पहले कोई प्रयोग नहीं हो सका है। हमारा लक्ष्य 2022 में भारत की स्वतंत्रता दिवस की वर्षगाठ से पूर्व स्वदेशी यान से भारतीय को अंतरिक्ष ले जाना और पुन: धरती पर वापस लाना है। हम ऐसा करके रहेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षो में तमाम विकास के बावजूद हमारे पास अभी कुछ समस्याएं हैं। जिनका समाधान नहीं हो पाया है, जैसे भूख और गरीबी, अच्छा स्वास्थ्य व स्वच्छता, पीने योग्य स्वच्छ पानी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सुव्यवस्थित रोजगार के अवसर, कृषक वर्ग के आय में बढ़ोतरी ,स्वच्छ ऊर्जा व स्वच्छ पर्यावरण आदि। हमें इस दिशा में निदान के लिए तेजी से कदम उठाना होगा। मैं फिर कहूंगा कि चाद के लिए उछाल भरो। अगर तुम चूक जाओगे तो सितारों तक पहुंच सकते हो, खुशिया बांटों। अपने उन सपनों का पीछा करो जो उम्मीद से परे है और जाओ दिलचस्प अनोखी और शानदार गलतिया करो। नियमों को तोड़ो और दुनिया को अधिक आनंददायक बनाओ।