नई दिल्ली। व्यापारियों के शीर्ष संगठन कंफेडेरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है की यदि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सामान्य कर दर 18 प्रतिशत के आस पास रहती है तो महंगाई नहीं बढ़ेगी। कैट ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा है कि ऐसा करने से वस्तुऐं सस्ती हो सकती है लेकिन यह इस पर निर्भर करता है की कर से छूट के स्लैब में कितनी और कौन सी वस्तुऐं आएँगी और न्यूनतम दर 1 प्रतिशत में कितनी वस्तुएं आती हैं।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की वर्तमान वैट कर प्रणाली में 5 प्रतिशत की दर में जो वस्तुएं हैं वो अधिकांश उद्योगों में प्रयुक्त होने वाला रॉ मटेरियल है जिन पर मौटे तौर पर एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स लगता है लेकिन व्यापारियों को इसका इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता जबकि यह वस्तुएं अगर जीएसटी में स्टैण्डर्ड स्लैब जो 18 प्रतिशत हो सकता है लेकिन जीएसटी में इन पर पूरा इनपुट क्रेडिट मिलेगा। उन्होंने कहा कि जो वस्तुएं वर्तमान में वैट में 12 .5 प्रतिशत पर हैं, उन्हें वैट का इनपुट क्रेडिट तो मिलता है लेकिन एक्साइज या सर्विस टैक्स का इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता जबकि जीएसटी में उन पर भी यदि 18 प्रतिशत कर लगता है तो उनको भी पूरा इनपुट क्रेडिट मिलेगा।
कैट ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि जीएसटी कॉउन्सिल में व्यापार एवं उद्योग को प्रतिनिधित्व दिया जाए जिससे निर्णय की प्रक्रिया में भागीदारी हो। अधिकारियों की ट्रेनिंग के साथ साथ व्यापारियों को भी आवश्यक ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है क्योंकि एक कर प्रणाली से दूसरी कर प्रणाली में जाने में स्वाभाविक रूप से कुछ परेशानियां आ सकती हैं। कैट ने आग्रह किया है की जीएसटी लागू होने के बात पहले तीन वर्ष को अस्थायी वर्ष घोषित किया जाएँ और जानबूझकर कर वंचना करने वाले लोगों को छोड़कर आम व्यापारी को गलतियों के लिए कोई सजा न दी जाए।
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