खुदरा महंगाई (सीपीआई) दर के पांच महीनों के उच्चतम स्तर को छूने के बाद थोक महंगाई के मोर्चे पर भी बुरी खबर है। जून में तेजी से बढ़ी थोक महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) बढ़कर 5.77 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जो पिछले चार सालों का उच्चतम स्तर है।
मासिक आधार पर देखा जाए तो मई महीने में खुदरा महंगाई 4.43 फीसद दर्ज की गई थी। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल इसी महीने में थोक महंगाई की दर 0.90 फीसद थी।
गौरतलब है कि जून में खुदरा महंगाई दर के पांच महीनों के उच्चतम स्तर पर जाने के बाद डब्ल्यूपीआई में हुई तेज बढ़ोतरी ने चिंता में इजाफा किया है। जून में भारतीय अर्थव्यवस्था को दोहरा झटके का सामना करना पड़ा है।
जून महीने में जहां खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी के स्तर तक पहुंच चुकी है वहीं मई महीने में आईआईपी (इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन) गिरकर 3.2 फीसदी हो गया। सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को महंगाई को (+- 2 फीसद के साथ) 4 फीसद के स्तर पर रखने का लक्ष्य दे रखा है। महंगाई के ताजा आंकड़े इस महीने की आखिर में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक को प्रभावित कर सकते हैं। माना जा रहा है कि अगली बैठक में आरबीआई की तरफ से दरों में कोई रियायत नहीं मिलेगी।
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