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दुनिया भर में भारतीय शिक्षा का ज्ञान बांटेंगे गुरु

GOलखनऊ। भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनाने के लिए मोदी का ग्लोबल शिक्षा मंत्र अपनाया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में छात्र और शिक्षकों के लिए असीम संभावना तलाशी गई हैं। अब घर से लेकर विदेशों तक भारतीय शिक्षा के लिए माहौल बनाया जा रहा है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार स्थानीय भाषा और संस्कृति के अनुसार शिक्षा मिल सकेगी। साथ ही दुनिया भर में भारतीय स्कू‍ल- कालेजों की स्थापना की जाएगी। यहां पर गुरुजी भारतीय शिक्षा को बढ़ावा देंगे। इसके लिए युवाओं को अध्यापन की ओर आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय अभियान शुरू करने का भी प्रस्ताव है। समूचे विस्तार के लिए जीडीपी में कम से कम छह फीसदी का प्रावधान किया जा रहा है।
पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली समिति ने नई शिक्षा नीति में राष्ट्रीयकरण पर जोर दिया है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को शिक्षण कार्य से जोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्लेयटफार्म मुहैया कराया जा रहा है। राष्ट्रीय अभियान चलाकर ऐसे
शिक्षक तैयार किये जाएंगे जो भारत और समूचे विश्वर में गुणवत्ता पूर्ण भारतीय शिक्षा प्रदान कर सकें। विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषयों के लिए साझा राष्ट्रीय पाठ्यक्रम तैयार करने की योजना है। सामाजिक विज्ञान जैसे अन्य पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय परिदृश्य के साथ राज्यों की स्थिति भी शामिल की जाएगी। नई नीति में ‘आर्थिक तौर पर कमजोर तबकों के प्रति व्यापक राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं’ के मद्देनजर शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 12-1-सी के सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक (धार्मिक एवं भाषायी) संस्थाओं को शामिल किया जाएगा।
अब तक भारत विदेशी विश्ववविद्यालयों से अनुबंध के आधार पर ही शिक्षा का आदान- प्रदान करता रहा है। हालांकि नई नीति में भारत में न केवल विदेशी विश्वविद्यालय स्थापित किए जा सकेंगे बल्कि भारतीय संस्थाएं भी विदेशों में अपने स्कूल-कालेज खोल सकेंगी।
शिक्षकों को भी आसानी से इन कालेजों में पढ़ाने का मौका मिल सकेगा। इसके लिए मौजूदा कानून में संशोधन किया जाएगा। नीति में विशेषज्ञों का एक कार्य बल बनाने का भी सुझाव दिया गया है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में भर्ती और तरक्की जैसी प्रक्रियाओं का अध्ययन करेगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में बौद्धिक और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के उपाय सुझाएगा।

संस्कृत है भारतीय शिक्षा की आत्मा
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके आनुषंगिक संगठन शुरू से शिक्षा के राष्ट्रीयकरण पर जोर देते रहे हैं। नई शिक्षा नीति में इसकी झलक दिखाई पड़ सकती है। राष्ट्रीय भाषा के तौर पर हिंदी में अध्ययन- अध्यापन पर जोर दिया जा सकता है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हिन्दी और संस्कृत माध्यम से शिक्षण व्यवस्था को भी बढ़ावा देने के संकेत हैं। योग, आयुर्वेद, संस्कृत और
अध्यात्म को केंद्र में रखकर विदेशी छात्रों को आकर्षित करने का विचार किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण करने, विदेशी छात्रों को आकर्षित करने पर विचार किया जा रहा है।

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