वहीं सरकार सहकारी बैंकों की अतिरिक्त फाइनेंसिंग के लिए नैशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चरल एंड रूरल डेवेलपमेंट बैंक (नाबार्ड) को अनुदान भी देगी।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस फैसले का उद्देश्य नोटबंदी की मार से जूझ रहे किसानों को रबी की फसल के लिए आसान फसल लोन मुहैया कराना है। इसके लिए सरकार नाबार्ड के जरिए सहकारी बैंकों को अतिरिक्त पूंजी भी देगी। चालू वित्त वर्ष में इस ब्याज माफी के एलान से होने वाला फायदा सहकारी बैंक किसानों को पहुंचाएंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस फैसले के जरिए सरकारी खजाने पर करीब 1,060 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है।
आपको बता दें कि किसानों के लिए कर्ज पर ब्याज माफी के लिए साल 20016-17 में जारी किए गए 15 हजार करोड़ रुपए पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।