वित्त मामलों की स्टैंडिंग कमेटी के सामने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल, राजस्व सचिव हसमुख दहिया और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास पेश हुए। इस दौरान कमेटी के सदस्यों ने कई सवाल पूछे। सूत्रों की मानें तो अब तक कितनी पुरानी नकदी वापस आई और नई नकदी कितनी छपी है, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने इसका कोई जबाव नहीं दिया।
स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य और टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘आरबीआई के गवर्नर यह बताने में असमर्थ रहे की कितने रुपये बैंक में वापस आए।’ वित्त मामलों की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद एम. वीरप्पा मोइली हैं।
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सूत्रों ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि नोटबंधी से हुए फायदे और नुकसान के संबंध में 2016 की शुरुआत में ही चर्चा शुरू कर दी थी।’
सूत्रों ने कहा, ‘आरबीआई गवर्नर ने स्टैंडिंग कमेटी को बताया कि 9.2 लाख करोड़ रुपये के नये नोट नोटबंदी के बाद बैंकों को दिये गये।’
स्टैंडिंग कमेटी यह भी जानना चाहती है कि नोटबंदी का फैसला किसने लिया। साथ ही आरबीआई की स्वायत्ता के संबंध में भी कमेटी ने वरिष्ठ अधिकारियों से सवाल किया।
पिछले दिनों आरबीआई के कर्मचारियों ने केंद्र पर हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए उर्जित पटेल को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा था, ‘इस कुप्रबंधन से आरबीआई की छवि और स्वायत्तता को इतना नुकसान पहुंचा है कि उसे दुरूस्त करना काफी मुश्किल है।’ इसके अलावा नकदी प्रबंधन के आरबीआई के विशेष कार्य के लिए वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति को कर्मचारियों ने ‘जबर्दस्त अतिक्रमण’ बताया था।
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