पटना यूनिवर्सिटी में पांच दिसंबर को होने वाले छात्र संघ चुनाव को लेकर विश्वविद्यालय कैंपस में काफी गहमा गहमी बढ़ गई है। पटना विश्वविद्यालय के वीसी से मिलने पहुंचे जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर एबीवीपी के छात्रों ने पथराव किया, जिसके बाद प्रदेश में एक बार फिर से बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने आ गये हैं। उनके बीच राजद ने भाजपा-जदयू पर जमकर तंज कसा है।
जदयू ने किया प्रशांत किशोर का बचाव
जदयू नेता संजय सिंह ने पीके का बचाव करते हुए कहा कि प्रशांत किशोर आपदा के बारे में पटना यूनिवर्सिटी के वीसी से बात करने गए थे। इसे लेकर इतना हायतौबा मचाने की क्या जरुरत है?
भाजपा ने लगाया प्रशांत किशोर पर चुनाव प्रभावित करने का आरोप
भाजपा नेताओं ने प्रशांत किशोर पर हमला बोला है और छात्रसंघ चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। संजय पासवान, अरुण सिन्हा, नितिन नवीन और संजय चौरसिया ने आरोप लगाते हुए कहा है कि छात्रसंघ चुनाव में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप ठीक नहीं है। चुनाव में पेशेवर प्रबंधकों की मदद से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर किया तंज
वहीं, प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर एबीवीपी पर तंज कसते हुए कहा है कि पटना यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में संभावित हार की घबराहट में आकर मेरी गाड़ी पर पत्थर मारा गया। ये घबराहट इस तरह कम नहीं होगी। उन्होंने कहा कि एेसे तत्वों को अपनी पहचान इस तरह बनाने से बेहतर है कि आपको कुछ अच्छा करना चाहिए।
तेजस्वी यादव ने सरकारी तंत्र के शामिल होने का लगाया आरोप
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकारी तंत्र के शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री आवास से चुनाव का संचालन किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने सोमवार को बयान जारी करके जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को कठघरे में खड़ा करते हुए पटना विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल खराब करने का आरोप लगाया है।
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री से भी सवाल किया है कि क्या अब मुख्यमंत्री निवास से नया खेल शुरू हो गया है? तेजस्वी ने आरोप लगाया कि सीएम आवास से छात्र संघ चुनाव में पैसा बांटा जा रहा है। प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने विरोधी छात्र संगठनों के प्रत्याशियों को हराने के लिए उन्हें डराने, गिरफ्तार करने और हर तिकड़म आजमाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा है कि अपनी जीत के लिए जदयू ने गलत संसदीय परंपरा की शुरुआत की है। पिछले साल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को फर्जी डिग्र्री और शपथ पत्र के कारण हटाया गया था। जदयू द्वारा इस बार उन्हीं के सहारे फर्जी काम कराया जा रहा है।
दरअसल, विश्विद्यालय में छात्र संघ चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कैंपस का महौल पहले से ही गहमा गहमी का होता है। इसी में प्रशांत किशोर ने वहां वीसी से मिलने पहुंचकर आग में घी का काम किया। इन चुनावों में सभी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशियों को जिताने की होड़ में लगी रहती हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर भी जेडीयू के प्रत्याशी को जिताने के लिए मुहिम चला रहे थे और विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों से मिल रहे थे।
इसी दौरान जब प्रशांत किशोर पटना विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलने पहुंचे, तो छात्रों को इसकी भनक लग गई। इसके बाद छात्र संघ से जुड़े नेताओं ने कुलपति आवास को घेर लिया और प्रशांत किशोर घंटों कुलपति आवास में घिरे रहे। बाद में छात्रों पर पुलिस ने लाठियां बरसाई और प्रशांत किशोर को मुश्किल से निकाला जा सका।
दरअसल, आचार संहिता लागू होने के बावजूद प्रशांत किशोर कुलपति आवास पहुंचे, जिससे नाराज होकर छात्रों ने ये प्रदर्शन किया। वहीं, इसे लेकर सिटी एसपी राजेंद्र भील ने बताया कि प्रशांत किशोर का कुलपति से मिलना मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन नहीं है।
बता दें कि बीजेपी और जेडीयू का एक दूसरे से अक्सर मतभेद सामने आ जाता है। एक ही गठबंधन में होते हुए भी दोनों पार्टियां कई मौकों पर एक दूसरे के खिलाफ खड़ी दिखाई दीं। 2014 लोकसभा चुनाव के पहले भी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम कैंडिडेट घोषित किया गया था तो नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दी थी।
हालांकि फिर से वे एनडीए में वापस आ गये। इसके अलावा सीट शेयरिंग को लेकर भी दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच जुबानी जंग चलती रहती है और आपसी मतभेद जगजाहिर हो जाता है।