मेरठ । अब तक गुमनामी में रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल जल्दी ही एक क्लिक पर दुनिया के सामने होंगे। प्रदेश के पर्यटन विभाग ने वेस्ट यूपी के ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थलों की पहचान करके उन्हें अपनी वेबसाइट पर स्थान देने का निर्णय लिया है। इसे केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की वेबसाइट पर भेजने के लिए भी केंद्र सरकार से संपर्क किया जा रहा है।प्रदेश सरकार ने यूपी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक स्थलों की पहचान का अभियान छेड़ा है।
इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों को अहम स्थान देकर पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर डाला जाएगा। इसमें ऐतिहासिक स्थलों के बारे में पुख्ता जानकारी फोटो के साथ डाली जाएगी। जिससे दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति एक क्लिक पर यूपी के पर्यटन स्थलों की जानकारी हासिल कर सकें।वेस्ट में इन स्थानों पर रहेगी निगाहवेस्ट यूपी के ऐतिहासिक स्थलों पर शोध करने वाले महामना मालवीय शोध संस्थान के सचिव डाॅ. कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि महाभारत के ऐतिहासिक स्थल हस्तिनापुर, किला परीक्षितगढ़, गढ़मुक्तेश्वर, शुक्रताल, बिजनौर में विदुर कुटी, सूरजकुंड, सैफपुर-फिरोजपुर गांव, बरनावा का लाक्षागृह, सहारनपुर के कई स्थल, गौतमबुद्ध नगर में रावण की जन्मस्थली बिसरख, बागपत में बिजरौल, सिनौली, रावण उर्फ बड़ागांव, रटौल, पुरा महादेव मंदिर, औघड़नाथ मंदिर मेरठ, मुजफ्फरनगर के कई स्थल, गाजियाबाद का दूधेश्वरनाथ मंदिर, मेरठ में शाहपीर का मकबरा, सरधना का चर्च आदि को प्राथमिकता सूची में रखा गया है।
इसके साथ ही अब तक गुमनाम रहे 1857 की क्रांति के स्थलों की विशेष तौर पर पड़ताल की जा रही है। इन स्थानों को पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जगह दी जाएगी।केंद्र सरकार को भेजा जा रहा प्रस्तावयूपी में नए पर्यटक स्थल घोषित कराने के लिए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डाॅ. महेश शर्मा से इतिहासकारों का एक दल मिला। इस दल में वेस्ट यूपी के जाने-माने इतिहासकार डाॅ. विघ्नेश त्यागी, डाॅ. केके शर्मा, डाॅ. अमित पाठक, डाॅ. डीसी शर्मा, डाॅ. विनोद यादव, अमितराय जैन, डाॅ. मनोज गौतम आदि शामिल थे। केंद्रीय मंत्री ने यूपी सरकार से वार्ता करके जल्दी ही गुमनाम स्थलों की पड़ताल करके पूरी रिपोर्ट भेजने को कहा है। डाॅ. केके शर्मा ने बताया कि इसके लिए प्रदेश सरकार के स्तर पर भी बातचीत की जा रही है।