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फिर वॉट्सऐप की मुश्किलें बढ़ी

whatनई दिल्ली । अपनी नई प्रिवेसी पॉलिसी को लेकर दुनियाभर में विवादों का सामना कर रहे वॉट्सऐप की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार और ट्राई को वॉट्सऐप और इस जैसे अन्य प्लैटफॉर्म्स को रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के तहत लाने की संभावनाएं तलाशने के लिए कहा है। कोर्ट ने वॉट्सऐप को भी आदेश दिया है कि यूजर के अकाउंट डिलीट करते ही उसकी सारी इन्फर्मेशन हटा दी जाए और इसे फेसबुक के साथ शेयर न किया जाए। एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने नई प्रिवेसी पॉलिसी को तो बरकरार रखा, मगर यह कहा कि 25 सितंबर से पहले यूजर्स ने जो भी डेटा शेयर किया है, वॉट्सऐप उसे इस्तेमाल नहीं कर सकता। नई प्रिवेसी पॉलिसी यूजर्स द्वारा 25 सितंबर के बाद शेयर किए जाने वाले डेटा पर ही लागू होगी।फेसबुक के इन्स्टंट मेसेजिंग और वॉइस कॉलिंग ऐप वॉट्सऐप ने 25 अगस्त को नई प्रिवेसी पॉलिसी जारी की थी, जिसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दो छात्रों की तरफ से जनहित याचिका दाखिल की गई थी। कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी नाम के इन स्टूडेंट्स का कहना था कि नई पॉलिसी के तहत यूजर्स के अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उनकी गोपनीय जानकारी को वॉट्सऐप से संबंधित कंपनियों को शेयर किया जा सकता है। इसके बदले में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वॉट्सऐप ने अपनी प्रिवेसी की शर्तों को जानबूझकर घुमाया-फिराया है, ताकि यूजर्स कन्फ्यूज होकर इनके लिए सहमत हो जाएं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जिस तरीके से इस पॉलिसी के लिए यूजर्स की सहमति ली जा रही है, वह भी सही नहीं है। वॉट्सऐप यूजर्स की सहमति लेने का सिर्फ दिखावा कर रहा है।दरअसल वॉट्सऐप यूजर्स को ऐप खोलने पर एक पॉपअप आया था, जिसमें यह बताया गया था कि पॉलिसी में बदलाव लाया गया है। सबसे नीचे नई पॉलिसी को स्वीकार करने के लिए ऑप्शन दिया गया था। अगर किसी को यह जानना हो कि बदलाव क्या है, तो उसके लिए अपडेटेड पॉलिसी का एक्सटर्नल लिंक दिया गया था।बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान वॉट्सऐप ने कोर्ट को बताया था कि अगर कोई यूजर अपना अकाउंट डिलीट करता है तो उसकी कोई भी इन्फर्मेशन हम अपने सर्वर्स में नहीं रखते। अब हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और ट्राई को वॉट्सऐप जैसे प्लैटफॉर्म्स को रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के तहत लाने की संभावना तलाश करने के लिए कहा है। इससे पहले ट्राई ने दिल्ली कोर्ट से कहा था कि उसके पास इस मामले में दखल देने का अधिकार नहीं है।

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