यह बदलाव की बयार है…। इसमें न केवल नशे की दलदल से बाहर निकलने की छटपटाहट है बल्कि जिन्होंने यह जानलेवा लत लगाई है उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने की तिलमिलाहट भी है। वास्तव में यह डर के आगे जीत है…,और यही सोच लोगों में साहस भर रहा है। फिर नशा बेचने व तस्करी करने वालों की शामत आ गई और लोग इनके नाम उजागर करने लगे हैैं।
यह तभी संभव हो सका है जब नशा करने वालों को कोई मदद का हाथ मिला है और तस्करों का नाम बताने की हिम्मत करने वालों को सुरक्षा का भरोसा मिला। यह भरोसा जिला प्रशासन ने दिया है। प्रशासन के हरकत में आने के बाद पुलिस भी सक्रिय हुई है। नशे की बिक्री का नेक्सस तोड़ने के लिए लोग भी आगे आए हैं। प्रशासन की तेजी का ही नतीजा है कि अब तक जिले में 44 नशा तस्करों के नाम व रिहायश समेत अन्य ब्यौरे की सूची प्रशासन के पास पहुंच चुकी है।
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