यूपी में चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही बीजेपी अपने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में जुटी है. विरोधियों की चुनावी चुनौतियों से निपटने के लिए पार्टी उन पर अपनी पैनी निगाहें जमाए हुए है और उन्हीं के आधार पर अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रही है. जानकारों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले तीन महीनों में 20 से भी ज्यादा दिन लखनऊ में बिताए हैं और चुनावी खाका तैयार किया है. बीजेपी पर करीबी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पार्टी इन निष्कर्षों के आधार पर अपना सियासी ताना-बाना बुन रही है.
केंद्र सरकार के सामने सुप्रीम कोर्ट ने भी कर दिए हाथ खड़े!
1. बीजेपी के शीर्ष नेताओं का आकलन है कि नोटबंदी के फैसले से आम जनता संतुष्ट है. लोगों को लगता है कि मोदी सरकार के इरादे नेक हैं लेकिन नौकरशाही के स्तर पर इसके क्रियान्वयन में गड़बड़ी हुई. औसत वोटर का मानना है कि भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ सरकार ने लड़ाई छेड़ी. अंतिम रूप से इससे गरीब, आम तबके को लाभ ही मिलेगा. संभवतया इसी आकलन के आधार पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह जैसे नेता कह रहे हैं कि बीजेपी नोटबंदी को चुनावी मुद्दा बनाएगी.
2. बीजेपी का मानना है कि इस यूपी विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतों का विभाजन होगा. बीएसपी ने सर्वाधिक 97 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं और इस बार पार्टी दलित-मुस्लिम सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले पर दांव लगा रही है. लेकिन बीजेपी का मानना है कि मुस्लिम मतदाता मायावती के बजाय मुलायम सिंह पर अधिक भरोसा करता है. लेकिन सपा में मचे घमासान और पार्टी के दो फाड़ होने के कारण वोटों का बिखराव हो सकता है. मौजूदा सूरतेहाल में उसका सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को होगा.
3. बीजेपी का आकलन है कि सपा में जो घमासान मचा है, वह वास्तव में सत्ता के लिए नहीं बल्कि पार्टी पर कब्जे की लड़ाई है. तख्तापलट के जरिये मुलायम को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश के खुद पार्टी अध्यक्ष बनने को बीजेपी उनकी बड़ी भूल मान रही है. ऐसे में बीजेपी का अनुमान है कि इससे अखिलेश को खामियाजा उठाना पड़ेगा.
4.मुलायम के साथ नहीं होने की स्थिति में अखिलेश यादव, कांग्रेस समेत अन्य दलों के साथ गठजोड़ कर सकते हैं. इस स्थिति के लिए भी बीजेपी ने तैयारी की है. वह तब प्रचार के दौरान इस मुद्दे को इस प्रकार से उठाएगी कि अखिलेश ने भ्रष्टाचार और दागी उम्मीदवारों को टिकट देने के खिलाफ बगावत करने का दिखावा जरूर किया है लेकिन अब वह पिता को हटाकर ऐसे लोगों के समर्थन से ही सत्ता में लौटने की राह देख रहे हैं.
5. बीजेपी अबकी बार यूपी में बिहार जैसी गलती नहीं करना चाहती. यानी कि अबकी बार पूरे राज्य में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के पोस्टरों, होर्डिंग्स में स्थानीय नेताओं के पोस्टर भी लगाए जाएंगे.
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