लखनऊ। बसपा सुप्रीमों मायावती ने प्रदेश में भाजपा की हालत खराब बताते हुए कहा कि देवी-देवताओं के गुणगान करने व अयोध्या में विवादित स्थल पर मन्दिर निर्माण का प्रोपोगण्डा करने के हथकण्डों से भी कोई खास राजनैतिक लाभ मिलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे पहले आमजनता से किये गये अपने वायदों को पूरा करें तभी कुछ बात बन सकती है । मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने सपा और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि सूबे में बीजेपी कमजोर है इसलिए अखिलेश सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। मायावती ने कहा कि भाजपा को वोट चाहिए तो इन्हें हथकंडे अपनाने की बजाय लोगों को किए वादों को अमल में लाना चाहिए पर इनके अब तक के चाल, चरित्र और चेहरे से ऐसा नहीं लगता कि यह ऐसा करने वाले हैं।’कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मायावती ने कहा कि अब तक नरेंद्र मोदी सरकार ने यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। सपा भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि अमित शाह हर दिन यूपी की रैलियों में कानून-व्यवस्था की बात करते हैं, लेकिन उन्हें इसका हक नहीं है। अब तक उनकी केंद्र सरकार ने यूपी में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश नहीं की है। मायावती ने कहा कि बाबरी विध्वंस के बाद यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था और उसके बाद ही स्थिति सुधरी थी। ऐसा ही अब करना पड़ेगा। बीजेपी पर राम मंदिर के मसले का लाभ उठाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अब यह हथकंडे काम नहीं आएंगे।
अमितशाह का बयान बचकाना-
मायावती ने अमित शाह के उस बयान को बेतुका बताया है जिसमें उन्होंने कहा था यूपी की कानून व्यवस्था ओबामा संभालेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र में भाजपा की सरकार है उसके बाद भी भाजपा के लोग ऐसी बाते कर रहें हैं। मायावती ने कहा कि कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी जनसभाओं आदि में उत्तर प्रदेश में व्याप्त गुण्डाराज व जंगलराज का उल्लेख करते हुए बार-बार यह बात कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को, सपा की सरकार नहीं तो क्या ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा‘‘ यहाँ आकर सुधारेंगे। मायावती ने भाजपा अध्यक्ष के इस बयान को न केवल बचकाना बयान बताया बल्कि बेतुका व ग़ैर-ज़िम्मेदाराना भी कहा । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की इस मामले की चुप्पी पर पर्दा डालने व इनको संवैधानिक ज़िम्मेदारी से मुक्त करने का ग़लत प्रयास है।