इससे पहले सेशंस एवं ग्रेसले दोनों ने एच1बी वीजा पर कानून लाने के लिए मिलकर काम कर चुके हैं। जहां भारतीय आईटी कंपनियों कोकाफी नुकसान उठाना पड़ा था।
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वाशिंगटन अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आईटी पेशेवरों को नौकरी देने वाले एच-1बी और एल1 वीजा पर सख्ती बरतने की पूरी तैयारी में हैं। ट्रंप की ओर से अटॉर्नी जनरल पद के लिए चुने गए उम्मीदवार ने सांसदों को भारतीय आईटी पेशेवरों द्वारा इस्तेमाल होने वाले एच1बी एवं एल1 कार्य वीजा के दुरुपयोग रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है। बुधवार को अटार्नी जनरल जेफ सेशंस एक सुनवाई के दौरान ये बातें कही।
जेफ सेशंस ने सीनेट न्यायिक समिति से कहा कि यह सोच गलत है कि हम पूरी तरह खुली दुनिया में रहते हैं और यदि दुनिया में कोई कम वेतन पर नौकरी करने का इच्छुक है तो किसी अमेरीका वासी की नौकरी लेकर उसे दी जा सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशी पेशेवरों को नौकरी देने की अमरीका की भी कुछ सीमाएं हैं। साथ ही इस बात पर जोर देते हुए कहा, हमारी पहली प्राथमिकता हमारे अपने नागरिक हैं।
इससे पहले सेशंस एवं ग्रेसले दोनों ने एच1बी वीजा पर कानून लाने के लिए मिलकर काम कर चुके हैं। जहां भारतीय आईटी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में अगर अमरीका की सीनेट सेशंस की नियुक्ति की पुष्टि करती हैं तो वह न्याय मंत्रालय का कामकाज संभालेंगे। जहां कार्यालय आव्रजन एवं राष्ट्रीयता कानून के भेदभाव विरोधी प्रावधान लागू कर सकता है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि कई अमेरिकी कर्मियों का मानना है कि देश के कर्मियों की छंटनी और कम वेतन मे, विदेशी, एच1बी कर्मियों को उनकी जगह रोजगार देना अमेरिका के कर्मियों के साथ असल में राष्ट्रीयता संबंधी भेदभाव के बराबर है। साथ ही बताया कि पिछली ओबामा सरकार अमरीका के कर्मचारियों की नौकरी बचाने में असफल रहा है। गौरतलब हो कि ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के समय भी भारत, चीन और मैक्सिको में नौकरियां देने के अलावा देश में बाहर के कर्मियों को महत्व दिए जाने पर अपना कड़ा रुख दिखलाया था।
गौरतलब हो कि इस तरह कानून लागू होने के बाद भारतीय पेशेवर आईटी कर्मियों को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि हर साल 85 हजार से ज्यादा एच1बी वीजा अमरीका जारी करता है।