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भारत का एक पड़ोस देश आतंकवाद के प्रश्रय और इसके निर्यात में आगे: मोदी

moवियंतियन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर एक बार फिर आतंकवाद और आतंकियों के मददगारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत का सैद्धांतिक मन्तव्य रखते हुए कहा कि ऐसे देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो आतंकवाद को औजार की तरह इस्तेमाल करते हैं। पीएम ने नाम लिए बिना ही पाकिस्तान पर जमकर प्रहार किया।मोदी ने यहां 11वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमें सिर्फ आतंकवादियों के खिलाफ ही नहीं बल्कि उनका समर्थन करने वाले पूरे तंत्र के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है।’ पाकिस्तान का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा, ‘हमें सबसे सख्त कार्रवाई उन राजकीय तत्वों के खिलाफ करनी चाहिए, जो आतंकवाद को देश की नीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।’पीएम ने भले ही पाकिस्तान का नाम न लिया हो, लेकिन उनका इशारा पड़ोसी राष्ट्र की ओर ही था। पाकिस्तान को सुनाने का मौका नहीं चूकते हुए पीएम ने कहा, ‘दक्षिण एशिया क्षेत्र में अधिकांश देश आर्थिक समृद्धि के लिए शांतिपूर्ण मार्ग पर चल रहे हैं। भारत के पड़ोस में एक देश है, जो केवल आतंकवाद के प्रश्रय और इसके निर्यात करने में आगे है।’ भारत-पाकिस्तान के संबंध जम्मू एवं कश्मीर में आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं। हिजबुल कमांडर कोपाकिस्तान ने शहीद करार दिया था।आतंकवाद को बहुलवादी और खुले समाज के लिए सबसे गंभीर खतरा करार देते हुए मोदी ने इससे मुकाबले के लिए एक सामूहिक प्रयास का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जनसंहार के हथियारों को पूरी तरह समाप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध है। साल 2005 में स्थापना के समय से ही भारत इसका संस्थापक सदस्य है। पूर्व एशिया के रणनीतिक, भूराजनीतिक और आर्थिक विकास में पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत उड़ान से अधिक नौपरिवहन की स्वतंत्रता और संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के 1982 के समुद्री कानून के समझौते (यूएनसीएलओएस) को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित बिना रुकावट के व्यापार का समर्थन करता है।’ चीन दक्षिण चीन सागर में समुद्र तटीय इलाके के देशों से द्वीप समूहों के विवाद को लेकर उलझा है। चीन के फिलीपींस के साथ दक्षिण चीन सागर के विवाद पर जुलाई में हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के एक अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने फिलीपींस के पक्ष में फैसला दिया। इसका फिलीपींस ने स्वागत किया और चीन ने अपनी नाराजगी जताई थी। चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे स्वीकार और मान्यता नहीं देने की बात कही।’

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